कनाडा में आया सालों के शोषण के बदले हर्जाना भरने का फैसला
२३ जनवरी २०२३कनाडा सरकार के खिलाफ वहां के मूल निवासियों के 325 समुदायों ने मुकदमा दायर किया था. उस क्लास एक्शन लॉ सूट पर आए फैसले में अदालत ने कनाडा सरकार को 2.8 अरब कनेडियाई डॉलर (यानि करीब 170 अरब भारतीय रूपये) का मुआवजा भरने का आदेश दिया. इस राशि को सरकार से स्वतंत्र एक गैर लाभकारी ट्रस्ट में रखा जाएगा और "मूल निवासियों की शिक्षा, संस्कृति और भाषा में नई जान फूंकने में" इसका इस्तेमाल किया जाएगा. इस मौके पर जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि इसका मकसद "पीड़ितों के जख्म भरना और उनकी सभ्यता से उन्हें फिर से जोड़ने में मदद करना" है.
फैसले को बताया घाव भरने का पहला चरण
सरकार पर मुकदमा करने वाले मूल निवासियों के एक समुदाय के नेता गैरी फेशुक कहते हैं, "अपने इतिहास का जिम्मा लेने में कनाडा को इतना वक्त लग गया. रेसिडेंशियल स्कूलों में कराये अपने नरसंहार को मानने में और इसके कारण हमारे देश को हुए बहुत बड़े नुकसान को पहचानने में बहुत समय लगा."
कोर्ट के फैसले के बाद जारी अपने लिखित बयान में उन्होंने कहा, "अब वक्त आ गया है कि कनाडा ना केवल उससे पहुंचे नुकसान को माने, बल्कि इसे ठीक करने के रास्ते पर हमारे साथ चले. यह समझौता एक पहला सही कदम है."
क्या हुआ था स्कूलों में
18वीं सदी के अंत से लेकर करीब 1990 के दशक तक कनाडा की सरकार ने ऐसे करीब 150,000 बच्चों को देश के 139 रेसिडेंशियल स्कूलों में भेजा. इनमें से ज्यादातर स्कूलों को कैथोलिक चर्च चलाते थे. वहां इन सालों में कनाडा के मूल निवासियों के ये बच्चे धीरे धीरे अपने परिवारों, भाषा और संस्कृति से काट दिए गए.
इसके अलावा शिकायतें हैं कि इन समुदायों से आने वाले कई बच्चों को वहां शारीरिक दुर्व्यवहार और यौन उत्पीड़न भी झेलना पड़ा. माना जाता है कि इनमें से हजारों की तादाद में बच्चे कुपोषण, बीमारियों या लापरवाही के कारण मर गए.
हजारों बेनाम कब्रों से बढ़ा दबाव
बीते दो सालों में ऐसे कैथोलिक स्कूलों के पास के इलाकों से ऐसी हजारों बेनाम कब्रेंभी मिली हैं. इसके चलते कनाडा के अंधेरे औपनिवेशिक अतीत पर प्रकाश पड़ा है. पिछले ही महीने एक जगह 1,300 से भी ज्यादा ऐसी कब्रें बरामद हुईं.
मूल निवासियों के 'स्टार ब्लैंकेट क्री' समुदाय ने बताया कि लेबरेट नाम की एक जगह पर धरती-भेदी रडार की मदद से वहां करीब 2,000 इलाकों का पता चला है, जिनकी गहराई से जांच कराए जाने की जरूरत है. पश्चिमी कनाडा के एक स्कूल के पास एक बच्चे के जबड़े का हिस्सा बरामद हुआ जिसके करीब सवा सौ साल पुराना होने का अनुमान लगाया गया है. ऐसे रेसिडेंशियल कैथोलिक स्कूल 1998 तक चल रहे थे.
गहरी चोटों पर मरहम लगाने की कोशिशें
मूल निवासियों के एक समुदाय के नेता शेन गॉटफ्रीडसन कहते हैं, "यहां के रेसिडेंशियल स्कूल सिस्टम ने हमारी भाषा को मिटा कर रख दिया, हमारी संस्कृति पर गहरा आघात लगाया और सामाजिक तौर पर नुकसान पहुंचाने की एक परंपरा छोड़ी. इस सबका असर मेरी पीढ़ी के भी आगे जाएगा. इसे पूरी तरह भरने में कई पीढ़ियां लग जाएंगी."
सरकार की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में मूल निवासियों के मामलों से जुड़े केंद्रीय मंत्री मार्क मिलर ने कहा, "हमें पूरा विश्वास है कि सभी पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए और जो भी बनता है वो मुआवजा भी." अभी घोषित दो अरब से भी ज्यादा की राशि को किस तरह खर्च किया जाएगा इसका विस्तार से ब्यौरा 27 जनवरी को अदालत देगी.
सन 2015 में इस मामले की जांच को लेकर गठित एक राष्ट्रीय आयोग ने कहा था कि रेसिडेंशियल स्कूलों का सिस्टम एक "सांस्कृतिक नरसंहार" जैसा था. पिछले साल कनाडा के दौरे पर गए कैथोलिक गिरजे के प्रमुख पोप फ्रांसिस ने उन स्कूलों में किए गए पापों के प्रायश्चित के लिए प्रार्थना की थी. पोप के इस कदम से पीड़ित काफी भावुक हो गए थे. तब कई लोगों ने उनके इस कदम को गहरे घाव भरने की प्रक्रिया की शुरुआत बताया था.
आरपी/एमजे (एएफपी)