क्या सूखी नदियां और झीलें फिर से लबालब की जा सकती हैं?
९ सितम्बर २०२२यूरोप में पड़ रही भीषण गर्मी ने इस महाद्वीप की तमाम बड़ी नदियों को अब तक के सबसे कम जलस्तर पर ला दिया है. राइन, डेन्यूब और पो जैसे जलमार्ग गर्म हो गए हैं और यहां पानी का स्तर काफी कम हो गया है. इसकी वजह से कृषि, व्यापार, पेयजल और प्राकृतिक पर्यावरण के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है.
यूरोपियन ड्रॉट ऑब्जर्वेटरी के मुताबिक यूरोप का करीब आधा हिस्सा सूखे से जूझ रहा है. जानकार इसे बीते पांच सौ साल में सबसे खराब स्थिति बता रहे हैं. हम जितना जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, उससे धरती गरम होती जाती है. गर्म हवाएं और सूखा बार-बार आ रहा है और आने वाले दिनों में इनका स्वरूप और विकराल होने जा रहा है. देशों को इन हालात के हिसाब से ढलना होगा.
नदियों-झीलों के लिए जलस्तर घटने और तापमान बढ़ने का मतलब?
निम्न जलस्तर सिर्फ हमारे लिए ही बुरी खबर नहीं है. ये नदियों और झीलों की सेहत के साथ-साथ उन पर निर्भर जंगली जानवरों के लिए भी नुकसानदेह हैं.
डीडब्ल्यू से बातचीत में स्टॉकहोम इंटरनेशनल वाटर इंस्टीट्यूट में प्रोग्राम ऑफिसर जोस पाब्लो मुरिलो कहते हैं कि जब पानी का स्तर गिरता है, तो वहां रहने वाले जीवों को परेशानी होनी लगती है. इससे पानी में रहने वाले जंतुओं और वनस्पतियों में अस्तित्व के लिए संघर्ष की स्थिति आ जाती है. पानी की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है और पूरा पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट होने लगता है.
वह कहते हैं, "तापमान और जलस्तर दोनों में भिन्नता की वजह से नदी और झील के पारिस्थितिकी तंत्र में अचानक बदलाव का खतरा पैदा हो जाता है. यह नुकसान सिर्फ नदियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र तक पहुंच सकता है. इसकी वजह यह है कि नदियों से पेयजल, खाद्य आपूर्ति, सिंचाई और अन्य कई चीजें जुड़ी होती हैं."
चूंकि गर्म पानी बैक्टीरिया और अन्य प्रदूषकों के लिए बेहतर वातावरण तैयार करता है, इसलिए उस स्थिति में इस पानी का उपयोग पीने के लिए करना खतरे से खाली नहीं है. निम्न जलस्तर का मतलब यह नहीं है कि प्रदूषक कम हो जाएंगे और बाहर चले जाएंगे. मुरिलो कहते हैं, "जब कोई पारिस्थितिकी तंत्र लंबे समय तक ऐसे दबाव में रहता है, तो फिर उसे वापस पहले जैसी स्थिति में लाना बड़ा मुश्किल हो जाता है."
हानिकारक शैवाल का उगना
गर्म पानी जलीय पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन भी बिगाड़ देता है. मुरिलो कहते हैं, "जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए तापमान बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह पानी में मौजूद खनिजों के संतुलन को भी प्रभावित करता है. तापमान बढ़ने से पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है. बिना ऑक्सीजन के जलीय पौधों और जंतुओं का रहना मुश्किल हो जाता है."
कुछ शोधकर्ताओं ने ध्यान दिलाया कि हाल ही में जर्मनी और पोलैंड के बीच ओडर नदी में बड़ी संख्या में मछलियां मरने के पीछे पानी में ऑक्सीजन की कमी जिम्मेदार रही. साल 2018 से ऐतिहासिक रूप से निम्न जलस्तर और करीब 25 डिग्री सेल्सियस के उच्च तापमान की वजह से नदियों में मछलियों का जीवन मुश्किल में पड़ गया है.
मुरिलो कहते हैं कि निम्न ऑक्सीजन स्तर और बढ़े हुए पोषक तत्व प्रदूषण पानी में शैवाल की वृद्धि को तेज कर सकते हैं. इस प्रक्रिया को यूट्रोफिकेशन कहते हैं. मुरिलो कहते हैं, "ये मुद्दे एक-दूसरे को मजबूत कर सकते हैं. मसलन, पोषकों की अधिकता शैवाल के विकास में सहायक हो सकती है और इसकी वजह से ऑक्सीजन स्तर में कमी आ जाएगी. इस वजह से जलीय जीव मर जाते हैं और उससे पोषक तत्व फिर बढ़ जाते हैं. यह क्रम चलता रहता है."
कनाडा और अमेरिका की सीमा पर स्थित एरी झील में कुछ ऐसा ही हुआ, जब पश्चिमी बेसिन में कृषि पोषक तत्वों की वजह से जहरीले शैवाल विकसित हो गए. बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में दोनों ही देशों ने पोषक तत्वों की मात्रा कम करके शैवालों को हटाने की कोशिश की. लेकिन झील में गर्म पानी की वजह से पिछले बीस साल में शैवाल की बढ़ोत्तरी फिर होने लगी. इस वजह से झील में ऑक्सीजन की कमी से कई 'मृत क्षेत्र' बन गए, जहां मछलियां मर जाती हैं.
जमाव के कारण बंद हुआ जल परिवहन
सूखी, धीमे बहाव वाली नदियों और सिकुड़ती झीलों की वजह से तलहटी में जमाव बढ़ने लगता है. बालू, गाद और मिट्टी के अन्य कणों के जमाव के कारण पानी का बहाव धीमा होने लगता है.
अप्राकृतिक रूप से तलहटी में इस तरह के जमाव के कारण जलीय पारिस्थितिकी बुरी तरह प्रभावित होती है. वनस्पतियों की वृद्धि रुक जाती है और जलीय जीवों को खाद्य पदार्थों की कमी होने लगती है. अमेरिका में पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के मुताबिक प्राकृतिक कटाव और इंसानों द्वारा जमीन की खुदाई करने से तलहटी में जमाव होने लगा. इसकी वजह से देश को हर साल 16 अरब डॉलर का पर्यावरणीय नुकसान हो रहा है.
मुरिलो इस जमाव का जिक्र करते हुए कहते हैं कि यह समस्या तो एक क्षेत्र विशेष की है, लेकिन यह डेल्टा और तटीय दलदलीय भूमि को भी नुकसान पहुंचा सकती है. वह कहते हैं, 'यह उन मछलियों के रास्तों को भी प्रभावित कर सकता है, जो खुद के पोषण के लिए ऊपर की ओर आती हैं और नदियों और झीलों के किनारे कुछ जंगली जीवों का भोजन बनती हैं.'
हम कैसे कर सकते हैं नदियों-झीलों की मदद?
वैज्ञानिकों का साफ कहना है कि हमें जलवायु को प्रभावित करने वाली गैसों के उत्सर्जन को किसी भी हाल में कम करना होगा. वे इसके लिए सूखे और गर्मी को सबसे बड़ा कारण बताते हैं. अगर हम इन चुनौतियों का तुरंत समाधान करते हैं, तो भी हमें इन जलमार्गों को प्रभावी बनाने में कई दशक लग जाएंगे.
हालांकि, कुछ और भी चीजें हैं, जिनके जरिए हम नदियों और झीलों को जीवनदान दे सकते हैं. एक तो यह कि हम नदियों के पानी को गर्म होने से बचाने के लिए उनके किनारों को छायादार बनाएं. पिछले कुछ दशकों में ब्रिटेन ने 'कीपिंग रीवर्स कूल' नाम से एक पहल की है, जिसके तहत एक सरकारी संस्था ने देशभर में नदियों और नालों के किनारे तीन लाख से भी ज्यादा पेड़ लगाए हैं.
इन पेड़ों से पानी को छाया मिलती है और नदियों में पानी का तापमान भी 2-4 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है. ब्राउन ट्राउट और सैल्मन जैसी मछलियों को भी काफी राहत मिलती है. देश के उत्तर पश्चिम में रिब्बल नदी के किनारे देखा गया कि पेड़ों की वजह से गर्मी में तापमान छह डिग्री तक कम हो गया. इसके अलावा पेड़ स्थानीय पौधों और जंतुओं की कई प्रजातियों को भी आवास प्रदान करते हैं. मिट्टी का कटाव रोकते हैं और तलछटी को पानी में जाने से रोकते हैं.
नदियों को उनकी प्राकृतिक अवस्था में वापस लाना
नदियों के संशोधित रूप वैश्विक गर्मी को बर्दाश्त करने में कम सक्षम होते हैं. वहीं बाढ़ और सूखे की स्थिति में पानी को धारण करने में भी उतनी सक्षम नहीं होती हैं. उनके प्राकृतिक बहाव और स्थिति को बनाए रखना ही एकमात्र उपाय है. यह तभी हो सकता है, जब उपयोग में न आ रहे बांधों और अन्य बाधाओं को हटा दिया जाए और पानी को स्वच्छंदता के साथ बहने दिया जाए.
यूरोप में यह एक बड़ा काम है. 2020 के आंकड़ों के मुताबिक इस महाद्वीप में कम से कम 12 लाख अवरोध हैं, जो नदियों और नालों के प्रवाह को रोकते हैं.
डैम रिमूवल यूरोप यहां का एक पर्यावरण समूहों का संगठन है, जिसमें वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड यानी डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, वर्ल्ड फिश माइग्रेशन फाउंडेशन और रीविल्डिंग यूरोप जैसी संस्थाएं शामिल हैं. इस संगठन के मुताबिक, 2021 में 17 यूरोपीय देशों ने कम से कम 239 ऐसी बाधाओं को खत्म करने का रिकॉर्ड बनाया है,, जिनमें स्पेन, फ्रांस और स्वीडन जैसे देश शीर्ष पर रहे हैं.
यूरोप में इसी तरह कई समूह हैं, जो नदियों को उनकी प्राकृतिक अवस्था में लाने की कोशिशों में लगे हुए हैं. साथ ही नदियों से लगी दलदल भूमि को भी. कई बार देखने में आया है कि जैसे ही इस तरह की बाधाएं हटा दी जाती हैं, स्थानीय मछलियां और कुछ वनस्पति प्रजातियां भी उन नदियों में लौट आती हैं.
मुरिलो कहते हैं, "नदियों को पुनर्जीवन देने के लिए हमारे पास कई रास्ते हैं. कुल मिलाकर, मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र पर जो दबाव है, हमें उसे कम करना है." मुरिलो यह भी कहते हैं कि पारिस्थितिकी तंत्रों के समग्र प्रबंधन पर विचार करने की जरूरत थी, क्योंकि यह जानना बेहद जरूरी है कि हमारी नदियां, झीलें, नाले और समुद्र किस तरह से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे पर निर्भर हैं.