कहां मिलता है अपनी इच्छा से मौत को गले लगाने का अधिकार
संसद के समर्थन के साथ ही ब्रिटेन दुनिया के उन देशों में शामिल होने जा रहा है जहां इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता है. देखिए जानलेवा या लाइलाज बीमारियों से पीड़ित लोगों को कहां मिलता है इच्छामृत्यु का अधिकार.
ब्रिटेन
इंग्लैंड और वेल्स के जानलेवा बीमारी से ग्रस्त वयस्कों को अब अपनी इच्छा से अपना जीवन समाप्त करने का रास्ता खुलता दिख रहा है, जिनके पास जीने के लिए छह महीने से कम समय बचा हो. 29 नवंबर 2024 को करीब पांच घंटे चली लंबी बहस के बाद ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स ने 275 के मुकाबले 330 वोटों से इच्छा मृत्यु को मान्यता दे दी. संसद के ऊपरी सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में पास होने के बाद ही ये आगे बढ़ेगा.
स्विट्जरलैंड
असिस्टेड डाइंग को कानूनी जामा पहनाने का काम स्विट्जरलैंड में 1942 में ही हो गया था. पूरी दुनिया में यह पहला देश था जहां डॉक्टर मरीज को ऐसी दवा लिख सकते थे या खुद दे सकते थे, जिनसे जीवन खत्म हो जाता है. डिग्निटास जैसे कुछ स्विस संगठन विदेशी नागरिकों को भी ये सुविधा मुहैया कराते हैं.
इक्वाडोर
2024 में इक्वाडोर मरणासन्न मरीजों को इच्छा मृत्यु की अनुमति देने वाला दूसरा दक्षिण अमेरिकी देश बना. कोलंबिया में 1997 में ही इच्छा मृत्यु को कानूनी इजाजत मिल गई थी. उरुग्वे और चिली में अब भी नीति-निर्माताओं के बीच इस मुद्दे पर बहस चल रही है. मेक्सिको में एक कानून है जिसे आमतौर पर ‘अच्छी मृत्यु' कानून कहा जाता है. इसके तहत मरीज या उसके परिजनों को मरीज को लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटाने का अधिकार है.
अमेरिका
अमेरिका के कम से कम 10 राज्यों में मेडिकल मदद से मरने की सुविधा दी जाती है. ये राज्य हैं - कैलिफोर्निया, कोलोराडो, हवाई, मोंटाना, मेन, न्यू जर्सी, न्यू मेक्सिको, ऑरेगन, वेरमॉन्ट और वॉशिंगटन डीसी. ऑरेगन पहला राज्य था जहां 1997 में इसकी अनुमति मिली. मंभीर बीमारियों से पीड़ित ऐसे लोग जिनके छह महीने से कम जीने की संभावना हो, वे इसकी मांग कर सकते हैं.
नीदरलैंड्स
साल 2002 में यहां "टर्मिनेशन ऑफ लाइफ ऑन रिक्वेस्ट एंड असिस्टेड सुसाइड एक्ट" अमल में आया. बहुत ज्यादा तकलीफ में जी रहे जिन मरीजों की स्थिति में सुधार की कोई संभावना ना बची हो उन्हें मरने में मेडिकल मदद देने वाले डॉक्टरों को सजा से आजादी मिलती है. 12 साल से ऊपर के बच्चे भी इसका निर्णय खुद ले सकते है, जबकि 6 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए माता पिता की सहमति जरूरी है.
बेल्जियम
यहां भी 2002 में बहुत ज्यादा कष्ट झेल रहे मरणासन्न लोगों को इसकी अनुमति मिली. खास बात ये है कि बेल्जियम में मानसिक रोगों से ग्रस्त लोग भी खुद इसका फैसला ले सकते हैं. साल 2014 से यहां 18 साल से कम उम्र के गंभीर मरीजों को भी इस कानून के दायरे में लाया गया है. लेकिन उन्हें पेरेंट्स की अनुमति चाहिए होती है.
ऑस्ट्रेलिया
2019 में ऑस्ट्रेलिया में इच्छा मृत्यु को कानूनन लागू करने वाला विक्टोरिया पहला राज्य बना. इस बीच पूरे ऑस्ट्रेलिया में ऐसा कानून लागू हो चुका है. हालांकि हर राज्य के कानून में थोड़ा-बहुत अंतर है. पूरे देश में ऐसा निर्णय लेने वाले मरीज की उम्र कम से कम 18 साल रखी गई है.
स्पेन
यूरोपीय देश स्पेन में 2021 में यह कानून बना कि जिन लोगों को लाइलाज या असहनीय रोग हों, वे यूथेनेसिया और मेडिकली असिस्टेड सुसाइड का रास्ता चुनकर अपना जीवन समाप्त कर सकते हैं.
जर्मनी
जर्मनी में 2015 तक इसकी अनुमति थी, जिसे उसके बाद कमर्शियल तौर पर किए जाने पर कई राज्यों में प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके पांच साल बाद देश की सर्वोच्च अदालत में पहुंचे एक मामले में एक समूह को जीत मिली जो मरणासन्न लोगों को मरने में मदद देने का काम करता है. लेकिन देश के सांसदों ने इसे वैधता देने के बारे में अब तक कोई कानून पास नहीं किया है.
फ्रांस
2016 से फ्रांस में ऐसे लोगों को गहरी बेहोशी (डीप सीडेशन) में डालने की अनुमति है जो मरणासन्न हो और बहुत दर्द झेल रहा हो. लेकिन मरने में मदद करने की दवा देना अभी भी अवैध है. 2024 में लाइलाज बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए इच्छामृत्यु का मसौदा सरकार ने पेश किया था, लेकिन राजनीतिक उठापठक के चलते प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई.
भारत
भारत में इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता नहीं है. यह अब भी एक अपराध माना जाता है. केवल ऐसे मामलों में किसी इंसान को लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटाया जा सकता है, जिसका मस्तिष्क काम करना बंद कर चुका है. ऐसा करने के लिए परिजनों की सहमति जरूरी होती है.