सील हुआ बीजिंग ओलंपिक का बबल
४ जनवरी २०२२चार से 20 फरवरी तक चलने वाले ओलंपिक खेल और उसके बाद होने वाले पैरालंपिक खेलों को लेकर चीन ने जीरो-टॉलरेंस रणनीति अपनाई है ताकि खेलों पर महामारी के संभावित असर को नियंत्रित रखा जा सके.
खेलों से जुड़े हजारों स्टाफ, वालंटियरों, सफाई कर्मियों, रसोइयों और ड्राइवरों को एक "क्लोज्ड लूप" में डाल दिया गया है जिसके तहत हफ्तों तक बाहर की दुनिया के साथ उनका कोई भी सीधा संपर्क नहीं होगा.
सख्त नियम
ये तैयारी कोविड की वजह से देर से हुए टोक्यो ओलंपिक खेलों से अलग है, जिसमें वालंटियरों और दूसरे कर्मियों के लिए थोड़ी आवाजाही की अनुमति थी. उम्मीद है कि अगले कुछ ही दिनों में दुनिया भर के मीडियाकर्मी और लगभग 3,000 खिलाड़ी बीजिंग में आना शुरू हो जाएंगे.
वे सब भी देश में कदम रखने से लेकर वहां से निकलने तक इसी बबल में रहेंगे. बबल में प्रवेश करने के लिए पूर्ण टीकाकरण अनिवार्य है. अगर टीका नहीं लिया है तो देश में आते ही 21 दिनों तक क्वारंटाइन रहना होगा.
बबल के अंदर भी रोज सबकी जांच होगी और हर समय मास्क पहने रहना होगा. पिछले सप्ताह खेलों की आयोजन समिति के मीडिया विभाग के प्रमुख शाओ वेडोंग ने कहा था कि बीजिंग "पूरी तरह से तैयार है."
अप्रैल तक रह सकता है बबल
उन्होंने बताया था कि, "होटल, यातायात, आवास और विज्ञान और टेक्नोलॉजी से चलने वाले हमारे शीतकालीन ओलंपिक के सभी प्रोजेक्ट तैयार हैं." इस क्लोज्ड लूप में प्रशंसक शामिल नहीं होंगे और आयोजकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वो खिलाड़ियों और बबल के अंदर रहने वाले दूसरे लोगों के साथ मिले जुले नहीं.
चीन में रहने वाले लोगों को भी बबल से निकलने के बाद घर पर क्वारंटाइन रहना होगा. बबल के अंदर खेलों के स्थलों के बीच यातायात की भी व्यवस्था है. "क्लोज्ड लूप" में चलने वाली तेज ट्रेनें भी उपलब्ध रहेंगी जो आम लोगों के लिए उपलब्ध ट्रेनों के साथ साथ चलेंगी.
बबल मार्च के अंत तक लागू रहेगा और संभव है की अप्रैल की शुरुआत तक भी लागू रहेगा. स्थलों के बाहर कड़ाके की ठण्ड में कर्मियों को बिजली की तारों वाली बाड़ लगाते हुए और सुरक्षाकर्मियों को पहरा देते देखा गया.
अधिकांश स्थल बीजिंग के बाहर स्थित हैं. लेकिन चीन में रहने वाले विदेशी राजदूतों ने बताया कि ये कदम इतने अभेद्य लग रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें चिंता है कि वो बबल के अंदर उनके देश के नागरिकों को जरूरी मदद नहीं पहुंचा पाएंगे.
सीके/एए (एएफपी)