ऑस्ट्रेलिया ने एक विदेशी से कहा, जब तक चाहो रहो
१७ अप्रैल २०२४ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी ने फ्रांसीसी मूल के कंस्ट्रक्शन वर्कर दामिएन जेरो को जब तक चाहें ऑस्ट्रेलिया में रहने का न्योता दिया है. सप्ताहांत पर सिडनी के एक शॉपिंग मॉल में हुई छुरेबाजी के दौरान जेरो ने बहादुरी दिखाई थी और छुरेबाज से भिड़ गए थे.
ऑस्ट्रेलिया में जेरो की सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है. उन्हें ‘बोलार्ड मैन' नाम दिया गया है क्योंकि वह ‘बोलार्ड' यानी आने-जाने वालों को सावधान करने के लिए लगाया जाने वाला प्लास्टिक का छोटा सा खूंटा लेकर छुरेबाज जोएल काउची से भिड़ गए थे.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें जेरो को खूंटा लेकर काउची को डराते हुए देखा जा सकता है. जेरो के कारण ही काउची ऊपरी मंजिल पर नहीं जा सका और ज्यादा लोग उसका शिकार नहीं हुए.
स्थायी वीजा की पेशकश
जेरो का अस्थायी वर्क वीजा जुलाई में खत्म होना है. लेकिन अब उन्हें वीजा बढ़वाने में कोई मुश्किल नहीं होगी. अल्बानीजी ने कहा, "अपनी वीजा एप्लिकेशन से जूझ रहे दामिएन जेरो को मैं कहना चाहता हूं, आपका यहां स्वागत है. आप जब तक चाहे, यहां रह सकते हैं. यह एक ऐसा व्यक्ति है जिसे ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता देने में हमें खुशी होगी. हालांकि, बेशक यह फ्रांस का नुकसान होगा.”
जेरो की वकील बेलिंडा रॉबिन्सन ने एसबीएस न्यूज को बताया कि सरकार ने मंगलवार देर रात इस बात की पुष्टि कर दी कि जेरो को स्थायी वीजा दिया जाएगा.
जेरो अकेले नहीं हैं जिन्होंने जोएल काउची को रोकने की कोशिश की. कई लोगों ने उसे पकड़ने की कोशिश की जिनमें पाकिस्तानी मूल का एक शरणार्थी भी शामिल था जो हाल ही में ऑस्ट्रेलिया आया था. अधिकारियों ने कहा कि अगर ये लोग हमलावर से ना भिड़ते तो मरने वालों की संख्या कहीं ज्यादा हो सकती थी. 30 साल के फराज ताहिर एक साल से भी कम समय से सिडनी में रह रहे थे और हाल ही में उन्हें एक सिक्यॉरिटी गार्ड की नौकरी मिली थी. उस दिन मॉल में वह काम पर थे और काउची को चाकू चलाते देख उससे भिड़ गए. हमले में ताहिर की भी जान चली गई.
काउची के हमले में पांच महिलाओं की जान गई है. पुलिस का मानना है कि काउची ने खासतौर पर महिलाओं को निशाना बनाया. हालांकि यह कहा जा रहा है कि वह मानसिक बीमारियोंसे ग्रस्त था. पुलिस ने इस बात का भी खुलासा किया है कि वह एक मेल सेक्स वर्कर के रूप में गुपचुप काम कर रहा था.
एक के बाद एक हमले
सिडनी में एक के बाद एक चाकुओं से हमले की दो घटनाएं होने के बाद न्यू साउथ वेल्स राज्य के मुख्यमंत्री क्रिस मिन्स ने कहा है कि वह चाकू रखने संबंधी नियमों को और कड़ा बनाने पर विचार कर सकते हैं.
जोएल काउची की घटना के दो दिन बाद 16 वर्षीय एक किशोर ने एक चर्च में दो पादरियों पर चाकू से हमला कर दिया था. इस हमले को पुलिस ने एक आतंकवादी घटना बताया है. पुलिस का कहना है कि हमलावर किशोर के धार्मिक रुझान को देखते हुए इस घटना की जांच आतंकवादी हमले के रूप में की जा रही है.
हालांकि आधिकारिक तौर पर किशोर की धार्मिक पहचान उजागर नहीं की गई है लेकिन घटना के बाद से देश के विभिन्न समुदायों के बीच तनाव का माहौल है. मुख्यमंत्री क्रिस मिन ने राज्य के मुस्लिम नेताओं से आगे आकर घटना की निंदा करने का अनुरोध किया है. शहर की एक प्रमुख मस्जिद के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें बम हमले की धमकी मिली है.
आतंकी हमला क्यों?
कुछ लोगों ने इस बात की आलोचना की है कि शॉपिंग मॉल की घटना को आतंकी हमला नहीं कहा गया जबकि चर्च में हमले को आतंकी हमला माना जा रहा है. इसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया की जासूसी एजेंसी एजियो (ASIO) के प्रमुख माइक बर्जेस ने कहा कि घटना की पृष्ठभूमि के आधार पर तय होता है कि वह आतंकी है या नहीं.
बर्जेस ने कहा, "घटना को आतंकी कहने के लिए आपको ऐसी सूचनाएं या सबूत चाहिए जो संकेत करें कि हमले की वजह धार्मिक या वैचारिक हो सकती है. शनिवार (जोएल काउची) के हमले में ऐसा नहीं था. इस (चर्च) मामले में हमारे पास ऐसी सूचनाएं हैं. इसलिए इसे एक आतंकी हमला कहा गया है.”
किशोर ने जिस पादरी पर हमला किया, वह इस्लाम की निंदा करते रहे हैं. हमले के वक्त का हमलावर किशोर का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वह कहता सुना जा सकता है कि अगर वह (पादरी) हमारे धर्म के बारे में ना बोलता तो ऐसा ना होता.
विवेक कुमार (रॉयटर्स)