अभूतपूर्व रफ्तार से पिघल रहे हैं एंडीज पर्वतमाला के ग्लेशियर
एंडीज पर्वतमाला पर जलवायु परिवर्तन का बहुत गहरा असर दिख रहा है. यहां बहुत नाटकीय तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जिसकी वजह से लोगों की जीवनशैली भी बदल रही है.
पिघलती खूबसूरती
अमेरिका के ये सबसे ऊंचे पहाड़ पेरू के उत्तरी एंडीज में कॉर्डिएरा ब्लैंका रेंज में पाए जाते हैं. करीब 22 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित चोटियों की बर्फ भी खतरे में है. बढ़ते तापमान से ग्लेशियर और पर्माफ्रॉस्ट पिघल रहे हैं. इसके कारण बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है. लाखों लोगों के आगे पीने के पानी का संकट खड़ा हो सकता है.
ऊंची चोटियां, तापमान ज्यादा
हुआस्करन नेशनल पार्क में नेवादो पास्तोरूरी के ग्लेशियर भी तेजी से गायब हो रहे हैं. एक बहुराष्ट्रीय शोध के मुताबिक, नई सदी के इन 24 सालों के दौरान एंडीज में 1,000 से 1,500 फीट की ऊंचाई पर दिन के समय के 'विंटर सरफेस टेंपरेचर' में प्रति दशक 0.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है. 5,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर यह वृद्धि 1.7 डिग्री सेल्सियस तक है.
बदलता परिवेश
पेरू के माटियो पर्वत में गर्मी के कारण झीलें बन गई हैं. कुछ वर्ष पहले तक यहां पर्वतारोहियों को पहाड़ की चोटी तक पहुंचने के लिए ग्लेशियर पार करना पड़ता था. अब बस एक चट्टानी ढाल ही है, जिसे पार करके लोग चोटी पर पहुंचते हैं.
समझ से परे है यह बदलाव
चिली के सिविल इंजीनियर पाब्लो वेन्स्टाइन ने एंडीज के ग्लेशियरों और आर्कटिक का दो दशक तक अध्ययन किया है. उन्होंने रॉयटर्स न्यूज एजेंसी को बताया, "ये बदलाव जो हम देख रहे हैं, वो हालिया मानव इतिहास में 'अभूतपूर्व' हैं." इन ग्लेशियरों पर बहुत कम अध्ययन हुआ है क्योंकि यह पर्वत शृंखला बहुत बड़ी और दूर तक फैली है.
सामान्य नहीं है 5,000 हजार मीटर की ऊंचाई पर बारिश
एंडीज, ताजे पानी का अहम स्रोत है. सर्दियों में ग्लेशियर पर बर्फ जमती है, जो बसंत आने पर पिघलकर पानी बन जाती है. अब पेरू में बहुत ऊंचाई के इलाकों में भी बारिश होती है, जैसे कि यहां नेवादो पास्तोरूरी में. हुआस्करन के पार्क रेंजर एडसन रेमिरेज बताते हैं, "5,000 मीटर की ऊंचाई पर बरसात होना प्राकृतिक या सामान्य नहीं है. यह संकेत है कि तापमान पूरी तरह से बदल गया है."
एक चोटी जिसमें लोगों की आस्था थी, ढह गई
यहां से दक्षिण की ओर करीब 2,000 किलोमीटर की दूरी पर भी यही हाल है. चिली की अल प्लोमो चोटी 5,400 मीटर ऊंची है. साफ दिनों में इसे राजधानी सैंटियागो से भी देखा जा सकता है, जो कि नजदीक ही है. सदियों से यहां लोगों की इस चोटी में आस्था रही है. इंका सभ्यता के लोग तो इसे समर्पित करते हुए इंसानी बलि भी देते थे. अब एल प्लोमो की बर्फ पर जलवायु परिवर्तन का असर दिख रहा है.
रोजी-रोटी पर खतरा
खच्चर चलाने वाले फ्रांसिस्को गैलार्डो ने रॉयटर्स को बताया, "हर साल चीजें बदल रही हैं. हर साल दुख बढ़ रहा है." वह 14 साल की उम्र से ही एल प्लोमो पर काम कर रहे हैं. वह पर्वतारोहियों को चोटी से लगभग 1,300 मीटर नीचे बेस कैंप तक पहुंचाने में मदद करते हैं. 60 वर्षीय गैलार्डो को डर है कि अब वह और उनका परिवार कुछ ही सालों तक यहां रह पाएंगे. फिर मजबूरी में उन्हें बाहर निकलकर नया काम खोजना पड़ेगा.
ग्लेशियर से वनों तक
ऑस्वाल्डो सेगुंडो विलेगास 50 वर्षों से एल प्लोमो पर फंसे लोगों को बचाकर लाने का काम कर रहे हैं. 1972 में सैंटियागो जाते समय उरुग्वे की रग्बी टीम का विमान एंडीज में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था. तब भी रेस्क्यू करने वालों में विलेगास शामिल थे. वह चेताते हैं, "पेटागोनिया में ऐसी जगहें थीं, जहां पहले जब मैं गया तो वहां समूची जगह ग्लेशियर थे. अब वहां जंगल है. यहां भी ऐसा ही होने वाला है."
चट्टानों का गिरना पारंपरिक रास्तों के लिए जोखिम भरा
सेंटियागो के पास लो कुर्रो चोटी तक जाने का रास्ता आज भी वही है, जिनका इस्तेमाल कभी इंका सभ्यता के लोग करते थे. पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने के कारण चट्टानों के गिरने और भूस्खलन का जोखिम बढ़ गया है. यहां सोकोरो एडिनो पर्वत में काम करने वाले बचाव दल के वॉलिंटियर इस चीज का अभ्यास करते हैं कि गिरती हुई चट्टान से खुद को सुरक्षित रखते हुए लोगों को हिफाजत के साथ कैसे वापस लाया जाए.