1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

साल 2016 एक सेकंड ज्यादा लंबा होगा

३० दिसम्बर २०१६

साल 2016 एक सेकंड ज्यादा लंबा होगा. 31 दिसंबर की रात जब 11.59.59 होंगे तो फिर 12.00.00 नहीं बजेगा बल्कि पहले 11.59.60 होंगे. उसके बाद 12.00 बजेंगे.

https://p.dw.com/p/2V1Bk
Riesenrad Ferris wheel, Paris
तस्वीर: CC BY-SA 3.0/David Monniaux

ऐसा पूरी दुनिया में नहीं होगा. लेकिन आधी से ज्यादा दुनिया को 2016 को एक अतिरिक्त सेकंड तक झेलना होगा. यह लीप सेकंड होता है जो धरती की धीमी गति के कारण जोड़ा जाता है. 1972 में इसकी शुरुआत हुई थी. इस साल 28वां लीप सेकंड होगा.

जो देश को-ऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (यूटीसी) पर चलते हैं जैसे कि पश्चिमी अफ्रीकी देश, ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड आदि, उनमें 2016 का आखिरी मिनट 61 सेकंड्स का होगा. पैरिस स्थित ऑब्जर्वेटरी ने एक बयान में बताया, "यह अतिरिक्त सेकंड खगोलीय समय के बराबर आने के लिए जोड़ा जाता है जो अनियमित होता है और धरती की गति के आधार पर तय होता है. 1967 से यूटीसी एटोमिक क्लॉक्स से आंका जाता है."

देखिए, 2016 में किसे मिलेंगी सबसे ज्यादा नौकरियां

पैरिस ऑब्जरवेटरी में ही इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन एंड रेफरेंस सिस्टम्स सर्विस का मुख्यालय है. यह दुनियाभर में समय मापने के लिए जिम्मेदार है. आईईआरएस की वेबसाइट पर बताया गया है, "यूटीसी के मुताबिक इस दिन तारीखें इस तरह बदलेंगी: 2016 दिसंबर 31 23 बजकर 59 मिनट 59 सेकंड - 2016 दिसंबर 31 23 बजकर 59 मिनट 60 सेकंड - 2017 जनवरी 1, 0 बजकर 0 मिनट 0 सेकंड."

लीप सेकंड इसलिए जोड़ा जाता है क्योंकि पृथ्वी की गति अनियमित होती है. कभी यह तेजी चलती है तो कभी धीमी हो जाती है. ऐसा चांद के गुरुत्वाकर्षण के कारण होता है. जब 1972 में लीप सेकंड शुरू किया गया था, उस साल तो 10 सेकंड जोड़ने पड़े थे. उसके बाद औसतन हर 18 महीने बाद एक सेकंड जोड़ा जाता है. पिछली बार 30 जून 2015 को एक लीप सेकंड जोड़ा गया था. 2016 एक लीप वर्ष भी रहा जबकि फरवरी में एक दिन अतिरिक्त था.

वीके/एमजे (एएफपी)