आग की वजह से होने वाले प्रदूषण से हर साल मर रहे 15 लाख लोग
एक नए अध्ययन में सामने आया है कि दुनिया में आग की वजह से होने वाले प्रदूषण से हर साल 15 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो रही है. जानिए ऐसा भारत समेत किन किन देशों में हो रहा है.
किस तरह के आग के मामलों को देखा गया
लांसेट पत्रिका में छपे इस रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में आग की वजह से होने वाला प्रदूषण हर साल 15 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ले रहा है. इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने जंगल की आग और पराली जलाने जैसी नियंत्रित आग, दोनों से जुड़े आंकड़ों को देखा.
अधिकांश मौतें विकासशील देशों में
दावा किया गया है कि इन मौतों में से अधिकांश विकासशील देशों में हो रही हैं. 90 प्रतिशत से ज्यादा मौतें कम और मध्यम-आय वाले देशों में हुई हैं. इनमें से करीब 40 प्रतिशत मौतें उप सहारा अफ्रीका में हुई हैं. दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतों वाले देशों में चीन, कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य, भारत, इंडोनेशिया और नाइजीरिया शामिल हैं.
सांस की बीमारी के लिए जिम्मेदार
इसके अलावा 2,20,000 लोगों की मौत सांस लेने की बीमारी की वजह से हुई जिसके लिए आग में से निकले धुएं और पीएम 2.5 जैसे छोटे कणों को जिम्मेदार पाया गया.
दिल की बीमारी के पीछे भी प्रदूषण
रिसर्चरों का कहना है कि 2000 से 2019 के बीच दुनिया में करीब 4,50,000 लोगों की मौत दिल की बीमारी की वजह से हुई जिसका संबंध आगे की वजह से हुए वायु प्रदूषण से था.
तुरंत उठाने चाहिए कदम
रिसर्च रिपोर्ट के लेखकों ने इस तरह से होने वाली मौतों की बड़ी संख्या को नीचे लाने के लिए तुरंत कदम उठाने की मांग की है. उन्होंने यह भी कहा कि अमीर और गरीब देशों के बीच अंतर "क्लाइमेट इनजस्टिस" या जलवायु अन्याय को भी दिखता है, जिसका मतलब है जिनका ग्लोबल वॉर्मिंग में सबसे कम योगदान रहा है वो उसकी वजह से सबसे ज्यादा भुगत रहे हैं.
गरीब देशों को चाहिए ज्यादा मदद
लोग आग के धुएं से बचने के लिए प्रभावित इलाकों से दूर हट सकते हैं, एयर प्यूरीफायर और मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं, या घर के अंदर रह सकते हैं. लेकिन रिसर्चरों का कहना है कि ये समाधान गरीब देशों में लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है. इसलिए उन्होंने सबसे ज्यादा प्रभावित देशों को ज्यादा वित्तीय और तकनीकी मदद देने की मांग की है. सीके/एनआर (एएफपी)