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मानवाधिकारअफगानिस्तान

"हम चिल्ला-चिल्ला के रोने लगे": बैन से छात्राओं में हताशा

२२ दिसम्बर २०२२

विश्वविद्यालयों में अफगान महिलाओं के जाने पर प्रतिबंध लगने के अगले दिन अफगान महिलाएं विश्वविद्यालयों के बाहर खड़ी नजर आईं. 20 दिसंबर को जारी आदेश में तालिबान ने देशभर में यह प्रतिबंध लागू कर दिया था.

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अफगान छात्राएं
अफगान छात्राएंतस्वीर: JAVED TANVEER/AFP

अफगानिस्तान में विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश पर बैन लागू होने पर महिलाओं ने विश्वविद्यालयों के बाहर विरोध किया और वे रोती हुईं नजर आईं. दुनिया के कई देशों ने फैसले की निंदा की है. जबकि यूएन ने फैसले को पलटने का आग्रह किया है.

विश्वविद्यालयों में अफगान महिलाओं के जाने पर प्रतिबंध लगने के अगले दिन अफगान महिलाएं विश्वविद्यालयों के बाहर खड़ी नजर आईं. 20 दिसंबर को जारी आदेश में तालिबान ने देशभर में यह प्रतिबंध लागू कर दिया था.

तालिबान ने महिलाओं के विश्वविद्यालय जाने पर लगाया बैन

अगस्त 2021 में सत्ता संभालने के बाद से तालिबान ने काले लबादे और सिर ढकने के लिए स्कार्फ को लागू किया है. काबुल और अन्य जगहों पर महिला छात्र विश्वविद्यालयों के बाहर इकट्ठा हुईं. उनकी आंखों में अपने भविष्य, सपने और आकांक्षाओं को लेकर आंसू थे.

कुंदुज में नर्स की पढ़ाई कर रही 23 साल अमीनी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "हम सभी पिंजरे में बंद पक्षियों की तरह महसूस कर रहे हैं, फैसले के बाद हमने एक-दूसरे को गले लगाया और हम चिल्ला-चिल्ला के रोने लगे. हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है?"

प्रतिबंध की घोषणा ऐसे समय पर हुई है जब देश भर के विश्वविद्यालयों में सर्दियों की छुट्टियां चल रही हैं. लेकिन कई छात्राएं विश्वविद्यालयों में परीक्षा देने या लाइब्रेरी में पढ़ने के लिए आईं थीं.

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कुछ छात्राओं को बुधवार को प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए कैंपस में जाने की इजाजत दी गई. काबुल विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि अन्य लोगों को बुधवार को निर्धारित ग्रैजुएशन डे समारोह में भाग लेने की अनुमति दी गई थी.

राजनीति शास्त्र के तीसरे वर्ष की छात्रा हस्ती उन छात्राओं में शामिल हैं, जिनकी परीक्षा प्रतिबंध के कारण रद्द कर दी गई. उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि प्रतिबंध की घोषणा के बाद उसकी परीक्षा की तैयारी जल्द ही मातम में बदल गई.

उन्होंने कहा, "मैंने पढ़ाई के लिए अपनी पूरी कोशिश की है. यह मेरे लिए बहुत कठिन है क्योंकि अब मुझे अपनी पढ़ाई बंद करनी होगी. और मेरा लक्ष्य अभी हासिल करने योग्य नहीं है. अगर महिलाओं के लिए स्थिति इसी तरह बनी रहती है, तो इसका मतलब है कि महिलाएं और लड़कियां जिंदा दफन की जा रही हैं."

तालिबान के फैसले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हो रही है. लोगों ने घर में भी अपनी हताशा जाहिर की. भारी सुरक्षा तैनाती के बीच परिसरों के बाहर फैसले का विरोध करने के लिए सभा के अलावा, कई लोगों ने प्रतिबंध की निंदा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया.

ट्विटर और फेसबुक यूजर्स ने फैसले का विरोध करने के लिए हैशटैग #LetHerLearn का इस्तेमाल किया.

तालिबान के आने के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं को सरकारी नौकरियों से हटा दिया गया है. अफगानिस्तान में महिलाओं पर किसी पुरुष के बिना यात्रा करने पर प्रतिबंध है. उन्हें घर से बाहर निकलने पर खुद को पूरी तरह ढक कर रखना होता है. नवंबर महीने में ही उन्हें पार्कों, मेलों, जिम और मनोरंजन के अन्य सार्वजनिक आयोजनों में जाने से रोक दिया गया था.

एए/सीके (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)