धर्मगुरुओं पर गांधी को गाली देने के आरोप
२७ दिसम्बर २०२१भारतीय मीडिया में आ रहीं खबरों के मुताबिक इस धर्म संसद में मुख्य संरक्षक राम सुंदर महाराज ने महात्मा गांधी को लेकर अपशब्द कहे. आयोजन में 20 धर्मगुरुओं ने भाग लिया. कुछ ने भाषण देते हुए “सनातन हिंदुओं” को खुद को हथियार देने की बात कही जबकि एक ने महात्मा गांधी की हत्या के लिए नाथूराम गोडसे की भी प्रशंसा की.
बाद में रविवार की शाम महात्मा गांधी के खिलाफ बयान देने वाले एक साधू कालीचरण के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई. धर्म संसद में शामिल होने आए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अचानक इस कार्यक्रम से चले गए थे.
वकीलों ने लिखा पत्र
सुप्रीम कोर्ट के 70 से ज्यादा वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि दिल्ली और हरिद्वार में हालिया आयोजनों में नस्ली हिंसा भड़काने की कोशिशों के खिलाफ संज्ञान लिया जाए. इस पत्र में उन लोगों की सूची दी गई है जिन्होंने भड़काऊ भाषण दिए थे. 76 वकीलों ने दस्तखत कर इस पत्र में लिखा है कि पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है ऐसे में ‘न्यायपालिका द्वारा आपात दखलअंदाजी की जरूरत है ताकि ऐसे आयोजनों को रोका जा सके जो आम होते जा रहे हैं.'
पत्र पर दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, वृंदा ग्रोवर और सलमान खुर्शीद जैसे वरिष्ठ वकीलों के अलावा पटना हाई कोर्ट में पूर्व जज अंजना प्रकाश ने भी हस्ताक्षर किए हैं. दिल्ली और हरिद्वार में हुए धार्मिक आयोजनों का जिक्र करते हुए इस पत्र में कहा गया है, "ऊपर बताए गए आयोजन और इनके दौरान दिए गए भाषण सिर्फ नफरत भरे भाषण नहीं हैं बल्कि एक पूरे समुदाय की हत्या करने का आह्वान हैं.”
पत्र के मुताबिक ये भाषण "न सिर्फ हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा हैं बल्कि करोड़ों मुस्लिम नागरिकों की जान भी खतरे में डाल रहे हैं.”
हरिद्वार में हुई धर्म संसद में कई नेताओं ने हथियार उठाने और एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ उनका इस्तेमाल करने जैसी बातें कही थीं. इन नेताओं में यूपी और केंद्र में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी से जुड़े लोग भी शामिल हैं.
‘कोई अफसोस नहीं'
इन भाषणों के कई वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे हैं. एक वीडियो में साध्वी अन्नपूर्णा नामक एक महिला को कहते सुना जा सकता है, "अगर तुम उन्हें खत्म करना चाहते हो तो उन्हें मार डालो. हमें इसे जीतने के लिए 100 ऐसे सैनिक चाहिए जो बीस लाख को कत्ल कर सकें.”
सोशल मीडिया पर इन भाषणों को लेकर आपत्ति जताए जाने पर हरिद्वार आयोजन के चार दिन बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी. पहले इसमें सिर्फ एक व्यक्ति का नाम था. बाद में दो नाम, धर्म दास और साध्वी अन्नपूर्णा भी जोड़े गए.
हालांकि आयोजकों का कहना है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया. अक्सर यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के साथ दिखाई देने वाले हिंदू रक्षा दल के प्रबोधानंद गिरी एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि उन्हें अपने कहे पर कोई अफसोस नहीं है.
एक वीडियो में गिरी कहते हैं, "जैसे म्यांमार में हुआ, हमारी पुलिस, हमारे नेताओं, हमारी सेना और हर हिंदू को हथियार उठाना चाहिए और सफाई अभियान चलाना चाहिए. और कोई विकल्प नहीं बचा है.” इस बारे में जब एनडीटीवी ने गिरी से सवाल किया तो उन्होंने कहा, "मैं पुलिस से नहीं डरता. मैं अपने बयान पर कायम हूं.”
कई लोगों ने उठाई आपत्ति
देश के वकीलों ने चीफ जस्टिस को जो पत्र लिखा है, उसमें उन्होंने कहा है कि पुलिस ने इस मामले में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है. पत्र के मुताबिक, "यह ध्यान देने लायक बात है कि आईपीसी की धारा 153, 153A, 153B, 295A, 504, 506, 120B, 34 के तहत कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है...हम यॉर लॉर्डशिप से आग्रह करते हैं कि देश की न्यायपालिक के प्रमुख होने के नाते इस बारे में त्वरित कार्रवाई करें.”
इससे पहले देश के कई पूर्व सेना प्रमुखों ने भी ऐसे आयोजनों पर नाराजगी जाहिर की थी. ट्विटर पर कई गणमान्य लोगों ने इन आयोजनों और भाषणों की तीखी आलोचना की थी. पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने लिखा, "इसे रोका क्यों नहीं जा रहा है.” इसके जवाब में पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने कहा, "सहमत.”
एडमिरल प्रकाश ने लिखा, "जबकि हमारे जवान दो मोर्चों पर दुश्मनों का सामना कर रहे हैं, क्या हम एक सांप्रदायिक रक्तपात, घरेलू उथल-पुथल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपमानित होना चाहते हैं? क्या यह समझना मुश्किल है कि जो भी देश के सौहार्द और एकता को नुकसान पहुंचाता है वो देश की रक्षा के लिए नुकसानदायक है?”
रिपोर्टः विवेक कुमार