अफगानिस्तान में अमेरिका की 7 गलतियां
जिस तालिबान को हराने के लिए अमेरिका ने 20 साल जंग लड़ी, आज वह अफगानिस्तान पर काबिज है. अमेरिकी संस्था स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफगानिस्तान रिकंस्ट्रक्शन ने इसी महीने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें सात सबक बताए गए हैं.
स्पष्ट रणनीति नहीं
सिगार के मुताबिक विदेश और रक्षा मंत्रालय के पास कोई स्पष्ट रणनीति नहीं थी. तालिबान का खात्मा, देश का पुनर्निर्माण जैसे लक्ष्यों में कोई स्पष्टता नहीं थी.
संस्कृति और राजनीति की समझ नहीं
सिगार की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका अफगानिस्तान की संस्कृति और राजनीति को समझ नहीं पाया. इस कारण गलतियां हुईं. जैसे कि वहां ऐसी न्याय व्यवस्था बना दी जिसके अफगान आदि नहीं थे. या फिर अनजाने में एक पक्ष का साथ देकर स्थानीय विवादों को और उलझा दिया.
दूरदृष्टि नहीं
अमेरिका के फैसलों में दूरदृष्टि की कमी को सिगार की रिपोर्ट ने रेखांकित किया है. सफलता के लिए कितना वक्त चाहिए, कितना धन चाहिए, कहां कितने लोग चाहिए इसकी कोई रणनीति नहीं थी. इस कारण ‘20 साल लंबी एक कोशिश’ के बजाय अभियान ‘एक-एक साल लंबी 20 कोशिशों’ में तब्दील हो गया.
अधूरी योजनाएं
सिगार कहता है कि बहुत सारी विकास योजनाएं शुरू तो हुईं लेकिन पूरी नहीं की गईं. सड़कें, अस्पताल, बिजली घर आदि बनाने पर अरबों डॉलर खर्चे गए लेकिन उनकी देखभाल के लिए कोई जवाबदेही नहीं थी. लिहाजा वे या तो अधूरे रह गए या बर्बाद हो गए.
कुशल लोगों की कमी
सिगार की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिकी सेना और मददगार संस्थाओं के पास जमीन पर कुशल लोगों की कमी थी. इस कारण एक साल बाद जब एक दल घर गया तो नए लोग आए जिनके पास समुचित अनुभव नहीं था. इस कारण प्रशिक्षण में कमी रह गई.
परेशान लोग
अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर लोग हिंसा से परेशान और डरे हुए थे जो आर्थिक विकास के रास्ते में बड़ी बाधा बना. अफगान सेना को तैयारी का कम समय मिला और उसकी तैनाती जल्दबाजी में हुई.
गलतियों से सीख नहीं
सिगार का आकलन है कि अमेरिकी सरकार ने योजनाओं की समीक्षा पर समय नहीं बिताया और गलतियों से सबक नहीं लिया. इसलिए वही गलतियां दोहराई जाती रहीं.