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चिली के खूनी तख्तापलट के 50 साल

शुभांगी डेढ़गवें
११ सितम्बर २०२३

चिली के अटाकामा रेगिस्तान में रहने वाली कैलामा की महिलाओं के लिए 11 सितंबर एक भयावह दिन है. वह अकसर फोरेंसिक जांच करने वालों को धूलकण छांटते देखती हैं. उस दर्द को महसूस करती हैं जो चिली के कई लोगों की हकीकत है.

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चिली में तख्तापलट कर लोकतांत्रिक सरकार को हटा दिया गया और राष्ट्रपति मारे गए
चिली में खूनी तख्तापलट के 50 साल तस्वीर: Vladdo/DW

पचास साल पहले, 11 सितांबर 1973 को चिली में तख्तापलट की साजिश रची गई. मार्क्सवादी राष्ट्राध्यक्ष, सल्वाडोर अलांदे की सरकार को गिराने के बाद तानशाह अगस्तो पिनोचे ने 17 साल तक चिली पर राज किया.यह किसी भी देश में मानवाधिकार उल्लंघन का सबसे बुरा दौर माना जाता है. सल्वाडोर अलांदे दुनिया के पहले लोकतांत्रिक रूप से चुने गए मार्क्सवादी राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. वे बदलाव लाना चाहते थे लेकिन कई लोगों को ये पसंद नहीं था.

पीनोचे ने तख्तापलट के समय करीब 3,200 से अधिक लोगों को मार दिया. जो कुछ हुआ उसकी जांच चिली में आज भी चल रही है. पहली बार जांच 1998 में शुरू हुई थी और पीनोचे  के 250 एजेंटों को जेल में डाल दिया गया. 59 साल की मारियालिना गोंजालेज ने अपनी नाकाम खोज को याद करते हुए फ्रेंच टीवी चैनल  फ्रांस-24 से कहा, "इस तथ्य का कोई अंत नहीं है कि मेरा भाई अब भी लापता है."

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अलांदे का राज

आर्मी के सैनिकों ने चिली को हासिल करने के बाद  जनरल अगस्तो पिनोचे को संदेश भेजा था,"मिशन पूरा हुआ, मोनेडा ले लिया, राष्ट्रपति मर गये." चिली को 1970 में लैटिन अमेरिका का लोकतांत्रिक प्रतीक माना जाता था. अपने राज में सल्वाडोर अलांदे ने कई तरह की समाजवादी नीतियां बनाईं. अलांदे ने स्वास्थ्य, किफायती सार्वजनिक आवास, शिक्षा और बच्चों की देखभाल में प्रमुख प्रगति की राह दिखाई और स्वदेशी पहचान और भाषाओं को स्वीकृति दिलाई.

उनके सुधार कार्यक्रम में खनन उद्योग का राष्ट्रीयकरण भी शामिल था. राष्ट्रपति अलांदे का ये कदम विपक्ष और अमेरिका की तत्कालीन सरकार को नागवार गुजरा था. तख्तापलट के समय अलांदे ने हार नहीं मानी.

उन्होंने खुद को गोली मारी या सेना ने उसे मार डाला इसे लेकर कई बातें कही जाती हैं. हालांकि, मरने के पहले उन्होंने राष्ट्र के नाम एक ऐतिहासिक संदेश प्रसारित किया. सात मिनट के इस संदेश में उन्होंने कहा था, "मैं इस्तीफा नहीं दूंगा. मैं लोगों की वफादारी का बदला अपने जीवन से चुकाऊंगा... हमेशा याद रखें कि बाद में वह रास्ते एक बार फिर खुल जाएंगे जिन पर एक बेहतर समाज बनाने की बुनियाद रखी गई थी.''

चिली में तख्तापलट की 50वीं बरसी
चिली में सल्वाडोर अलांदे की मूर्ति के सामने प्रदर्शन करते लोगतस्वीर: Esteban Felix/AP/dpa/picture alliance

पिनोशे की कमान में सेना इमारत में दाखिल हो रही थी और शाल्वाडोर लोगों को आखिरी बार संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा था, "मेरे दोस्तो, यकीनन ये आखिरी मौका है, जब मैं आपको संबोधित कर रहा हूं. मेरे देश के कामगारों, चिली और इसके तकदीर में मेरा यकीन है. चिली जिंदाबाद! आवाम जिंदाबाद! कामगार अमर रहें!" शाल्वाडोर के आखिरी शब्द थे, "ये मेरे आखिरी शब्द हैं और मुझे यकीन है कि मेरा बलिदान बेकार नहीं जाएगा. मुझे भरोसा है कि कम-से-कम यह एक नैतिक सबक होगा, जो घोर अपराध, कायरता और देशद्रोह की सजा तय करेगा."

शाल्वाडोर ने कहा था, वो जीते-जी पिनोशे के हाथ नहीं आएंगे. उन्होंने अपने सहयोगियों को सरेंडर करने का हुक्म दिया, लेकिन खुद नहीं आए. उन्होंने आत्महत्या कर ली. दशकों बाद एक अटॉप्सी ने बताया कि शाल्वाडोर ने आत्महत्या कैसे की थी. उन्होंने असॉल्ट राइफल को दोनों पैरों के बीच फंसाया, उसकी नोक अपनी ठुड्डी के नीचे तानी और धायं धायं दो शॉट्स.

अमेरिका की भूमिका

कई लोग मानते हैं कि राष्ट्रीयकरण और समाजवादी नीतियों कि वजह से चिली को एक आर्थिक संकट, बढ़ती मुद्रास्फीति और भोजन की कमी का सामना करना पड़ा. हालांकि 1973 के पहले से ही अमरीका चिली की राजनीति में दखल दे रहा था.

1964 में जब अलांदे ने राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उमीदवारी रखी तब उन्होंने प्रण लिया कि वह अमेरिका की सभी तांबा बनाने वाली कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करेंगे. अमरीका ने तब काफी पैसा खर्च कर साम्यवाद के खिलाफ प्रचार किया और अलांदे के प्रतियोगी को बढ़ावा दिया. वह अपनी कोशिशों में सफल रहे और अलांदे की हार हुई.

चिली में तख्तापलट के 50 साल
चिली के राष्ट्रपति गाब्रियेल बोरिच भी प्रदर्शनों में शामिल हुएतस्वीर: Esteban Felix/AP/dpa/picture alliance

1970 में अलांदे ने फिर चुनाव लड़ने की कोशिश की. तब रिचर्ड निक्सन अमरीका के राष्ट्रपति थे और हेनरी किसिंजर उनके राष्ट्रीय सुरक्षा के सलाहकार थे. चिली शीत युद्ध में एक लड़ाई का मैदान बन गया. यह समय शीत युद्ध का प्राथमिक दौर था. क्यूबा में फिदेल कास्त्रो की 1959 की क्रांति ने वाशिंगटन को पश्चिम में बढ़ते साम्यवाद और सोवियत प्रभाव के बारे में चिंतित कर दिया था. इस वजह से अमरीका के लिए अलांदे एक बड़ा खतरा और सोवियत संघ के लिए एक अवसर था.

अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय टेलीफोन और टेलीग्राफ को भी इस में शामिल किया गया और अलांदे के मुख्य प्रतिद्वंद्वी को पैसे दिए गए. अलांदे के खिलाफ अमेरिका की कोशिशों को टक्कर देने के लिए, सोवियत संघ और क्यूबा ने अलांदे के चुनावी प्रचार में बहुत पैसे लगाए. इन कोशिशों के बाद अलांदे की जीत हुई. ऐसे में निक्सन ने अमेरिका के उच्च अधिकारियों को कहा कि चाहे जो हो जाए अलांदे को राष्ट्रपति बनने से रोका जाए और उन्हे हटाया जाए.

लापता करने का चलन

कहा जाता है कि अमेरिका की ऐसी गतिविधियों की वजह से राजनीतिक विरोधियों को गायब या लापता करने की शुरुवात हुई. लगभग 1,500 लोग पिनोचे के राज में गायब हुए. 1990 में जुंटा के अंत के बाद केवल 307 लोगों की ही पहचान की जा पाई और उनके अवशेष उनके परिवारों को दिए गए.

माना जाता है कि पीनोचे ने मारे गए लोगों के शवों को खोदकर समुद्र में या ज्वालामुखी के क्रेटरों में फेंकने के आदेश दिए थे. जांचकर्ताओं को अब उम्मीद है कि आधुनिक तकनीक, नरसंहार और अस्थायी कब्रों  का पता लगाने में मदद कर सकती है, और मृतकों के अवशेष का पता लगा सकती है.