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समाज

रोहिंग्या कैंपों में पैदा होंगे 48 हजार बच्चे

५ जनवरी २०१८

बांग्लादेश के रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में इस साल 48 हजार बच्चों के पैदा होने का अनुमान है. इन शिविरों में म्यांमार से भागर आए लाखों रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं.

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Unterernährung von Kleinkindern in Bangladesh
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Uz Zaman

बच्चों के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था 'सेव द चिल्ड्रन' की तरफ से जारी ताजा आंकड़े बताते हैं कि शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या परिवारों में 2018 के दौरान 48 हजार बच्चे जन्म लेंगे. इनमें से ज्यादातर बच्चों को जन्म के समय कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलेगी, जिससे उनके बीमार होने का खतरा रहेगा. 'सेव द चिल्ड्रन' के बयान में कहा गया है कि अत्यंत भीड़भाड़ वाले इन शिविरों में कुपोषण बड़ी समस्या है. इसलिए यह आशंका भी बनी हुई है कि जन्म लेने वाले बहुत से बच्चे 5 साल की उम्र तक भी नहीं जी पाएंगे.

बांग्लादेश के कोक्स बाजार में 'सेव द चिल्ड्रन' की हेल्थ एडवाइजर रेचेल कुमिंग्स ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि 2018 के दौरान रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में हर दिन लगभग 130 बच्चे जन्म लेंगे. इनमें ज्यादातर बच्चों का जन्म अस्थायी तंबुओं में होगा जहां स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है और अच्छी देखभाल भी उनकी पहुंच नहीं है."

संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि म्यांमार में 25 अगस्त को संदिग्ध चरमपंथियों के खिलाफ सेना का अभियान शुरू होने के बाद से 6.55 लाख रोहिंग्या भागकर बांग्लादेश पहुंचे हैं. म्यांमार की सेना इन चरमपंथियों को अपनी कई सुरक्षा चौकियों पर हमले का दोषी मानती है. हालांकि संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार सेना की कार्रवाई को 'जातीय सफाये' का नाम दिया है. रोहिंग्या लोग दशकों से म्यांमार में रहते आए हैं, लेकिन उन्हें वहां का नागरिक नहीं माना जाता.

कुमिंग्स कहती हैं कि रोहिंग्या शिविरों में जन्म लेने वाले बच्चे बहुत मुश्किल हालात में रहेंगे. 'सेव द चिल्ड्रन' ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद बढ़ाने को कहा है ताकि नवजात रोहिंग्या बच्चों और उनकी मां की बेहतर देखभाल की जा सके.

एके/एनआर (डीपीए)