2021 के सबसे बड़े बदलावों में से एक भारत के किराना मार्केट में
भारत में घर पर बैठ कर खरीदारी करने के तरीकों में 2021 में कई बदलाव आए. अब आप नहाते-नहाते साबुन मंगवा सकते हैं और खाते-खाते नमक. लेकिन अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर पड़ेगा?
घर से खरीदारी
भारत में घर बैठे बैठे किराने का सामान मंगवा लेने का चलन कुछ साल पहले शुरू तो हो गया था लेकिन महामारी और तालाबंदी की वजह से 2020 और 2021 में यह चलन बहुत बढ़ गया. कंपनियों को भी किराना सामान बेचकर करोड़ों नए ग्राहकों को जोड़ने का अवसर मिला.
बढ़ता चलन
अब कई कंपनियों को इसमें उज्ज्वल भविष्य नजर आ रहा है. रेडसियर की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025 में भारत का किराना बाजार बढ़ कर 850 अरब डॉलर का हो जाएगा. इसमें ई-ग्रोसरी की हिस्सेदारी करीब तीन प्रतिशत यानी 25 अरब डॉलर से भी ज्यादा की हो जाएगी.
बाजार में कई खिलाड़ी
स्टैटिस्टा के मुताबिक ई-ग्रोसरी बाजार में बिग बास्केट की 35 प्रतिशत हिस्सेदारी है, अमेजन पैंट्री/फ्रेश की 31 प्रतिशत, ब्लिंकिट (जो पहले ग्रोफर्स था) की 31 प्रतिशत और बाकियों की कुल मिला कर 2.5 प्रतिशत के आस पास. इन डिलीवरी कंपनियों के सामने साल 2020 में जो चुनौतियां आई थीं, वो भी साल 2021 में दूर की गईं. इससे डिलीवरी और तेज हुई.
ग्राहक को लुभाने की होड़
ग्राहकों को और ज्यादा सुविधा देने की होड़ में कंपनियां व्यापार के मॉडल को बदलती जा रही हैं. पहले सामान ऐप पर आर्डर करने के बाद घर पहुंचने में कुछ दिन लगते थे, फिर कंपनियों ने उसी दिन डिलीवरी का मॉडल शुरू किया और अब तो सामान 10 मिनट में आपके घर पहुंचाने का वादा कर रही हैं. ई-कॉमर्स अब क्यू-कॉमर्स यानी क्विक कॉमर्स हो गया है.
रोजगार का क्या
लेकिन जानकारों का कहना है कि इससे एक तरफ तो व्हाइट कॉलर नौकरियों में वेतन बढ़ता जा रहा है, ज्यादा संख्या में नौकरियां सिर्फ डिलीवरी जैसे कम वेतन वाले और अस्थायी कामों में बन रही हैं. इसलिए यह सेक्टर भारत की बढ़ती बेरोजगारी की समस्या का समाधान नहीं दे पा रहा है.
एकाधिकार का खतरा
इसके साथ ही ये कंपनियां स्थानीय दुकानदारों और डिस्ट्रीब्यूटरों का धंधा भी बंद करवा रही हैं जिससे बेरोजगारी और बढ़ रही है. ऊपर से कंपनियों के एकाधिकार का खतरा अलग है. देखना होगा 2022 में इस क्षेत्र में किस तरह के बदलाव आते हैं.