भारत और चीन के अगले कदम पर नजर
१७ जून २०२०लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना के कम से कम 20 सिपाहियों के मारे जाने के बाद दोनों देशों के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. मीडिया में आई खबरों के अनुसार मंगलवार देर रात एक उच्च स्तरीय बैठक हुई जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और थलसेना प्रमुख शामिल थे.
उधर अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने इस प्रकरण का संज्ञान लेते हुए कहा है कि वो वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय और चीनी सेना के बीच स्थिति पर बहुत करीब से नजर बनाए हुए है. मंत्रालय ने यह भी कहा अमेरिका मौजूदा स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करता है.
इसी बीच कुछ मीडिया रिपोर्टों ने यह भी दावा किया है कि भारतीय सेना के कम से कम चार और सिपाही गंभीर रूप से घायल हैं. इसके पहले मंगलवार देर रात सेना ने कहा था कि 17 भारतीय सिपाही गलवान घाटी में हुई 'हिंसक' मुठभेड़ में मारे गए थे. दो और सिपाही और एक अधिकारी के मारे जाने की खबर सेना पहले ही दे चुकी थी. दोनों देशों के आधिकारिक बयानों में दोनों तरफ हुई मौतों का जिक्र है लेकिन चीन की सेना के कितने सिपाही मारे गए इसे लेकर कोई भी आधिकारिक बयान अभी तक ना भारत की तरफ से आया है और ना चीन की तरफ से.
बताया जा रहा है कि मुठभेड़ तब हुई जब मौके पर तैनात भारतीय सेना की टुकड़ी के कमांडर ने चीन द्वारा बनाई जा रही एक नई चौकी पर आपत्ति जताई. कई पत्रकारों ने दावा किया है कि इसके बाद ही बहस हाथापाई में तब्दील हो गई जो कि हिंसक हो गई. दोनों तरफ से हथियारों का इस्तेमाल तो नहीं हुआ लेकिन चीनी सिपाही बड़ी संख्या में थे और डंडों, लाठियों, बल्ले और कीलें लगी हुई बांस की डंडियों से लैस थे, जिनसे उन्होंने भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया.
बताया जा रहा है कि कई भारतीय सैनिक या तो फिसल कर या धक्का दिए जाने की वजह से नीचे नदी में गिर गए. कई सैनिकों की मौत का कारण हाइपोथर्मिया बताया जा रहा है. भारत में इस घटना को लेकर नाराजगी है और विपक्ष सरकार से मांग कर रहा है कि वो मामले के बारे में पूरी जानकारी और आगे की योजना साझा करे.
कई समीक्षक मान रहे हैं कि घटना पर चीन का वक्तव्य बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उसमें चीन ने दावा किया है कि गलवान घाटी उसके स्वामित्व में थी, जो कि अभी तक दोनों देशों के बीच मानी हुई स्थिति से अलग दावा है. समीक्षकों के अनुसार इस दावे ने चीन के दावों को 1962 से भी पीछे पहुंचा दिया है और इसका मतलब है कि चीन अब उन इलाकों पर भी अपने नियंत्रण का दावा कर रहा है जो 1962 के युद्ध के बाद से भारत के नियंत्रण में थे.
प्रधानमंत्री का बयान
बुधवार को कोविड-19 से लड़ने की रणनीति पर राज्यों के मुख्य-मंत्रियों से बातचीत के ठीक पहले प्रधानमंत्री ने भारत-चीन सीमा पर हुई हिंसक झड़प पर बयान दिया. प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं देश को भरोसा दिलाना चाहता हूं. हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. हमारे लिए भारत की अखंडता और संप्रभुता सर्वोच्च है और इसकी रक्षा करने से हमें कोई भी रोक नहीं सकता है. इस बारे में किसी को भी जरा भी भ्रम या संदेह नहीं होना चाहिए". उन्होंने यह भी कहा कि "भारत शांति चाहता है, लेकिन भारत उकसाने पर यथोचित जवाब देने में सक्षम है".
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाओ लीजियांग का कहना है कि भारतीय सैनिकों ने गैर-कानूनी तरीके से सीमा पार की और चीनी सिपाहियों पर हमला कर दिया जिसकी वजह से हिंसा हुई. चीन ने अभी भी इस बात की जानकारी नहीं दी कि उसकी सेना को कितनी क्षति पहुंची है. लीजियांग ने कहा कि चीन भारत सरकार से जोर दे कर कहना चाहता है कि वो अपने सैनिकों को "नियंत्रित करे, अवैध रूप से सीमा पार ना करे, भड़काने वाले कदम ना उठाए और एकतरफा काम ना करे जिससे सीमा पर स्थित पेचीदा हो जाए". उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्ष "इस मुद्दे को बातचीत के जरिये हल करने की कोशिश करते रहेंगे" और "निस्संदेह हम और झड़पें नहीं देखना चाहते".
यह भी खबर है कि भारतीय विदेश-मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश-मंत्री वांग यी से भी बातचीत की और दोनों के बीच जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी सीमा पर हुई झड़प का न्यायपूर्ण ढंग से समाधान निकालने और गतिरोध की तीव्रता को कम करने पर सहमति जताई. चीनी विदेश-मंत्री ने भारत से यह भी कहा है की जो झड़प के लिए जिम्मेदार हैं भारत उन्हें कड़ी सजा दे और अपने सैनिकों पर नियंत्रण रखे.
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