2018 में इन 18 पर रहेंगी सबकी नजरें
दुनिया में हर समय कुछ न कुछ घट रहा है. लेकिन यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे 18 लोग या घटनाएं जिन पर 2018 में सबकी नजरें रहेंगी.
डॉनल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 2017 में अपने बयानों और कदमों से धूम मचाए रखी. उनके सियासी फैसले हों या फिर बिंदास ट्वीट, वह लगातार सुर्खियों में रहे. इसलिए 2018 में भी उन पर निगाहें टिकी रहेंगी.
व्लादिमीर पुतिन
2018 में होने वाले रूस के राष्ट्रपति चुनावों में किसी को भी व्लादिमीर पुतिन की जीत पर संदेह नहीं होना चाहिए. बस देखना यह है कि 2018 में वह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में क्या हलचल मचाएंगे.
गरजने वाले बरसेंगें भी?
अमेरिका और उत्तर कोरिया 2017 में खूब गरजते रहे. तो क्या 2018 में भी यही हालात रहेंगे या उनके रुख में कुछ नरमी आएगी? फिलहाल तो ऐसे कोई संकेत नजर नहीं आते हैं.
ताकतवर शी
चीन में 2017 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग माओ के बाद सबसे ताकतवर नेता बन गए. लेकिन इस बीच असंतोष के कुछ सुर भी सुनाई दे रहे हैं, खास तौर से हांगकांग में अकसर लोकतंत्र समर्थक आवाजें सुनाई देती हैं.
ईयू की चुनौती
ब्रेक्जिट के बाद 2017 में यूरोपीय संघ कई अंदरूनी मतभेदों से जूझता रहा. ऐसे में, कई लोग यूरोपीय संघ की एकजुटता पर सवाल उठा रहे हैं. इसलिए 2018 यूरोपीय संघ के लिए खासा चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
धरती की सेहत
धरती के बढ़ते तापमान का असर दुनिया भर में बाढ़, सूखा और तूफान के रूप में दिख रहा है. लेकिन इससे प्रभावी तरीके से निपटने को लेकर विभिन्न देशों के बीच अब भी "अगर मगर" का दौर जारी है.
भटकते शरणार्थी
दुनिया भर में जारी संकटों के कारण शरणार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2017 में म्यांमार में हिंसक हालात ने एक बड़े रोहिंग्या शरणार्थी संकट को जन्म दिया. वहीं यूरोप भी मध्य पूर्व और अफ्रीका से आए शरणार्थियों से निपटने के तरीके तलाश रहा है.
राइट चॉइस?
दक्षिणपंथी ताकतें दुनिया भर में मजबूत हो रही है. ऐसे में 2018 में ब्रेल्जियम, चेक रिपब्लिक, हॉलैंड, फिनलैंड, हंगरी, आयरलैंड, इटली और स्वीडन जैसे यूरोपीय देशों में होने वाले राष्ट्रीय और स्थानीय चुनावों के नतीजों पर भी नजरें रहेंगी.
आजादी की पेचीदियां
स्पेन के कैटेलोनिया इलाके की आजादी का मुद्दा भी अनसुलझा है. 2018 में कैटेलोनिया स्पेन की सरकार के लिए सिरदर्द बना रह सकता है. हालिया चुनावों में अलगाववादियों की जीत ने इसे और पेचीदा बना दिया है.
नए संकटों की आहट
येरुशलम को इस्राएली राजधानी के रूप में मान्यता देकर अमेरिका ने दुनिया भर में खलबली मचा दी. लेकिन मध्य पूर्व में अमेरिका का असर घट रहा है. क्या इससे वहां नए संकट पैदा होंगे?
ताकत का अखाड़ा
मध्य पूर्व सऊदी अरब और ईरान के लिए ताकत का अखाड़ा बन रहा है. ईरान जहां इराक और सीरिया में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, वहीं सऊदी अरब खाड़ी देशों को अपने शिया प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ लामबंद कर रहा है.
जंग के खतरे
लड़ाई लगातार मानवीय त्रासदी में तब्दील हो रही है. वहीं कुछ जानकार यह भी कहते हैं कि सऊदी अरब इस्राएल को लेबनान में ईरान समर्थक हिज्बोल्लाह के खिलाफ लड़ाई छेड़ने के लिए उत्साहित कर रहा है.
पूरा होगा सपना?
2018 में पाकिस्तान में आम चुनाव होने हैं. देखना होगा कि पीएमएल (एन) अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रहती है या फिर इमरान खान का प्रधानमंत्री बनने का सपना सच होगा.
सत्ता का सेमीफाइनल..
भारत में अगले आम चुनाव तो 2019 में होंगे, लेकिन 2018 में राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा के विधानसभा चुनावों में देश की सियासी नब्ज का पता चलेगा.
क्या करेंगे कुर्द
2018 में कुर्द समूहों पर भी नजरें रहेंगी. खासकर इराक के कुर्दिस्तान इलाके में आजादी के हक में जनमत संग्रह होने के बाद कुर्द अलग थलग पड़ गए हैं. वैसे सीरिया, इराक और ईरान में भी उनकी अच्छी खासी आबादी है.
फुटबॉल वर्ल्ड कप
2018 में रूस विश्व कप फुटबॉल की मेजबानी करेगा जिसमें दुनिया भर से 32 टीमें शामिल होंगी. इस दौरान 11 शहरों के 12 स्टेडियमों में 64 मैच खेले जाएंगे और फुटबॉल का बुखार अपने चरम पर होगा.
करंसी या क्रिप्टो करंसी
2017 में क्रिप्टो करंसी बिटकॉइन ने नए रिकॉर्ड बनाए जिसके कारण बहुत से लोगों की दिलचस्पी इसमें बढ़ी. 2018 में भी क्रिप्टो करंसी का रुझान बढ़ने के आसार हैं. हालांकि सरकारें लगातार लोगों को इनसे दूर रहने को कह रही हैं.
और आखिर में..
कब क्या हो जाए, कुछ भी कहना मुश्किल है. इसीलिए हम 18वें नंबर पर ऐसी घटना को रखते हैं जिसके बारे में शायद अभी अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है.