शोध: करोड़ों भारतीय ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से पीड़ित
१० अक्टूबर २०२३भारतीय वयस्कों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की व्यापकता की एक व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण से पता चला है कि कामकाजी उम्र के लगभग 10.4 करोड़ भारतीय इस बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार लगभग 11 प्रतिशत भारतीय वयस्क ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) से पीड़ित हैं, जिनमें महिलाओं (5 प्रतिशत) की तुलना में पुरुषों (13 प्रतिशत) को अधिक खतरा है.
स्लीप मेडिसिन रिव्यूज जर्नल में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि ओएसए एक कॉमन स्लीप डिसऑर्डर है जो मोरबिडिटी से जुड़ा है.
एम्स में पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. अनंत मोहन के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने कहा, "ओएसए प्रसार की वैश्विक समीक्षाओं में भारत और अन्य विकासशील देशों के डाटा का कम प्रतिनिधित्व है. इस व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण ने भारत में ओएसए की व्यापकता की जांच की."
शोधकर्ताओं की टीम ने उन लेखों के लिए मेडलाइन, एम्बेस और स्कोपस डाटाबेस की खोज की, जिनमें स्लीप स्टडी का इस्तेमाल करके सामान्य भारतीय वयस्क आबादी में ओएसए की व्यापकता की जानकारी दी गई थी.
आठ स्टडीज को शामिल किया गया, जिसमें 35.5 से 47.8 वर्ष की औसत आयु वाले 11,009 विषय शामिल थे और रेंडम-इफेट्स मॉडल का इस्तेमाल कर मेटा-एनालिसिस किया गया.
इन निष्कर्षों के आधार पर स्टडी से पता चला कि कामकाजी उम्र के लगभग 10.4 करोड़ भारतीय ओएसए से पीड़ित हैं, जिनमें से 4.7 करोड़ में मध्यम से गंभीर ओएसए है. शोध लेखकों ने कहा, "यह भारत में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिसका बीमारी के वैश्विक बोझ पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है."
एक सामान्य लेकिन गंभीर चिकित्सीय स्थिति मानी जाने वाली स्लीप एपनिया के कारण व्यक्ति सोते समय सांस लेना बंद कर देता है, जिसके चलते ऑक्सीजन की सप्लाई में रुकावट, नींद की गुणवत्ता में कमी और उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी विकार, स्ट्रोक या संज्ञानात्मक विकार जैसी अन्य स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति सांस लेने में तकलीफ के कारण रात में कई बार जगता है और पूरे दिन सिर दर्द और थकान के साथ सुबह शुष्क मुंह का अनुभव करता है, तो यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के कारण हो सकता है.