शरीर में कैंसर को फैलने से कैसे रोका जाए
३० दिसम्बर २०१७जर्मनी में ब्रेन ट्यूमर को डिकोड किया जा रहा है. हाइडेलबर्ग का मेडिकल कॉलेज जर्मनी के सबसे बड़े चिकित्सा केंद्रों में से एक है. श्टेफान फिस्टर मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट हैं. वे बच्चों में होने वाले ब्रेन ट्यूमर के स्पेशलिस्ट हैं. पांच साल पहले केरीम नाम के एक बच्चे के दिमाग में ट्यूमर का पता चला. ट्यूमर सीधे ब्रेन स्टेम पर था, इसलिए डॉक्टर उसे पूरी तरह नहीं हटा सके. डॉक्टर श्टेफान फिस्टर बताते हैं, "हमने ट्यूमर को पूरी तरह से डीकोड कर लिया है. ट्यूमर के जेनेटिक कोड को समझने के दौरान हमें उसमें एक खास तरह का म्यूटेशन मिला."
जेनेटिक म्यूटेशन का विश्लेषण
अब तक रिसर्चर 600 ब्रेन ट्यूमरों की जेनेटिक संरचना समझ चुके हैं. इस दौरान उन्हें कई तरह के जीन संबंधी परिवर्तन भी देखने को मिले हैं. इसका फायदा यह है कि मस्तिष्क में ऐसी दवा डाली जा सकती है, जो ट्यूमर की वजह, बनने वाले जीन के विकास को रोक सके. डॉक्टर फिस्टर के मुताबिक, "हमने ट्यूमर की सभी चार अरब जड़ों की जांच की और उनकी मरीजों के डीएनए से तुलना की. हमने बहुत ध्यान से देखा कि किस किस ट्यूमर में कौन सा म्यूटेशन है. और फिर पता लगाया कि क्या इस तरह की दवाएं पहले ही उपलब्ध हैं, जो इन्हें रोकने में मदद दे सकती हैं."
एक एक जेनेटिक म्यूटेशन का विश्लेषण कर श्टेफान फिस्टर की टीम हर मरीज के लिए अलग अलग इलाज खोज सकती है. इलाज के इस तरीके से भविष्य में डॉक्टर बीमारी को बेहतर रूप से समझ सकेंगे और तय कर सकेंगे कि ऑपरेशन की जरूरत है, या फिर कीमोथेरेपी या लेजर थेरेपी की.
ट्यूमर का इलाज मुमकिन
जिन बच्चों में ट्यूमर आखिरी स्टेज में होता है, उनका शुरू से ही ज्यादा तेजी से इलाज किया जा सकेगा. जिनके साथ जोखिम कम है, उनका इलाज धीरे धीरे किया जा सकता है ताकि कोई साइड इफेक्ट्स ना हों. डॉक्टर श्टेफान ने कहा, "इलाज के इस तरीके में हम ऐसी जैविक संरचनाओं को खोजते हैं, जो केवल ट्यूमर के ही अंदर पाई जाती हैं, शरीर में और कहीं नहीं. हमें उम्मीद है कि इसके जरिये हम उसे लक्ष्य बना कर बिना किसी साइड इफेक्ट के लड़ पायेंगे. हम उस जगह को खोजते हैं जहां ट्यूमर को मारा जा सके."
इस जीन विश्लेषण के जरिये रिसर्चर अब तक दो ट्यूमरों में नई किस्म की दवा इंजेक्ट करने में सफल रहे हैं. केरीम को भी इसका फायदा मिला है. उसका ट्यूमर और नहीं बढ़ा है. डॉक्टर श्टेफान के मुताबिक, "अगर ट्यूमर दोबारा आ जाता है, तो भी हमारे पास एक मौका और होगा. तब हम एक नई दवा का इस्तेमाल करेंगे, जो म्यूटेशन पर और भी अधिक सटीक हमला करेगी. यह केवल ट्यूमर की ही कोशिकाओं पर हमला करेगी, आसपास की अन्य कोशिकाओं पर नहीं."
बच्चों में होने वाले सत्तर फीसदी ब्रेन ट्यूमर का इलाज मुमकिन है. कम साइड इफेक्ट वाला यह इलाज शायद आने वाले समय में कीमोथेरेपी और लेजर थेरेपी की जगह ले सकेगा.