युवा खिलाड़ियों पर भरोसे के साथ डॉर्टमुंड
१७ अगस्त २०१०पिछले साल बोरुसिया डॉर्टमुंड ने अपने क्लब की शताब्दी मनाई. उसकी स्थापना फ़ुटबॉल क्लब के रूप में ही की गई थी, लेकिन इस बीच उसके हैंडबॉल और टेबल टेनिस विभाग भी हैं, जो देश में पहली पांत की टीमें हैं. साथ ही यह क्लब फ़ैन्स की देखभाल पर काफ़ी ध्यान देता है.
डॉर्टमुंड को जर्मनी के सबसे सफल टीमों में माना जाता है. बुंडेसलीगा में अब तक के प्रदर्शन के आधार पर बनी तालिका में उसका पांचवां स्थान है. पिछले सीज़न की तालिका में भी उसका यही स्थान रहा. बुंडेसलीगा और उससे पहले के दौर को मिलाकर वह छह बार राष्ट्रीय चैंपियन बन चुका है. दो बार उसे जर्मन फ़ुटबॉल संघ का डीएफ़बी कप मिला है, 1966 में कप विजेताओं का यूरोप कप और 1997 में चैंपियंस लीग में चैंपियनशिप. उसी वर्ष उसे क्लबों का विश्वकप भी मिला.
2001-02 में डॉर्टमुंड आखिरी बार बुंडेसलीगा चैंपियन बना, और ख़ासकर 2004 से उसका प्रदर्शन ख़राब होता गया. क्लब की आर्थिक स्थिति इस बीच काफ़ी ख़राब हो चुकी थी. वित्तीय स्थिति सुधारते हुए उसे फिर से तंदुरुस्त बनाने की कोशिश की जा रही है. पिछले दो सालों में प्रदर्शन में भी थोड़ा निखार आया है. 2008-09 में उसे बुंडेसलीगा में छठा और पिछले सत्र में पांचवां स्थान मिला. फ़ैन्स को उम्मीद है कि ग्राफ़ इस बार भी ऊपर की ओर जाएगा.
डॉर्टमुंड की टीम में कभी रॉयटर, ज़ामर या रीडले जैसे स्टार खिलाड़ी हुआ करते थे. लेकिन पिछले सालों में युवा खिलाड़ियों पर भरोसा रखते हुए बेहतर नतीजे की कोशिश की जा रही है. कोच युर्गेन क्लोप भी क्लब की इस रणनीति से काफ़ी ख़ुश नज़र आते हैं.
लेखः उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादनः ए जमाल