म्यूनिखः बर्फ़ और बीयर का बिदांस शहर
७ मई २०१०ठीक यूरोप के दिल पर बसे इस शहर इतनी रफ़्तार से विकसित हुआ कि इसने एक समय के अपने ताकतवर पड़ोसियों इनगोलश्टाड्ट, आउसबुर्ग और न्युरेमबर्ग को पीछे छोड़ दक्षिणी जर्मनी के प्रमुख महानगर का दर्जा हासिल कर लिया. अपने जीवंत वैविध्यपूर्ण और कोस्मोपोलिटन चरित्र, शानदार इमारतों, संग्रहालय और दुकानों की बदौलत म्यूनिख जर्मनी के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में एक है.
लाखों लोगो का गांव
बर्लिन और म्यूनिख की अगर तुलना की जाए तो बर्लिन जहां विशाल, जंगली, केओटिक और शोरगुल भरा है और साथ में प्रेरणास्पद और खोजपरक भी है वहीं म्यूनिख ठीक उसका उलटा है. छोटा और ख़ामोश. ज़्यादा तरतीबी और सुगठित लेकिन साथ ही पुरातनपंथी और बिसरा हुआ सा. इसीलिए कुछ लोग शहर को एक गांव भी कहते रहे हैं. ऐसा गांव जहां लाखों लोग हैं.
बावारिया और बीयर
बावारिया असल में प्रांत का नाम है और म्यूनिख इसकी राजधानी है. गांव जैसा चरित्र होने के अपने फ़ायदे भी हैं. म्यूनिख में वो सब कुछ है जो एक आधुनिक शहर को खुशनुमा बनाता है. कई आम चौराहें और सुंदर बाग बागीचे, गोथिक और नई क्लासिक शैली की इमारतें, और एक से बढ़कर एक संग्रहालय, थियेटर, कंसर्ट हॉल और शॉपिंग बाज़ार. म्यूनिख का श्वाबिंग कस्बा अपने सड़क किनारे के कैफे, बार, किताब घरों और कॉपियों की दुकानों के लिए मशहूर है. म्यूनिख हरा भरा भी है. शहर के मशहूर पार्कों में इत्ज़ार नदी के तट पर बना इंग्लिश गार्डन है. म्यूनिख में लोकप्रिय 80 बीयर गार्डन हैं जहां गर्मियों में लोग पूरी मस्ती और पूरे जलवे के साथ बावरिया की विख्यात बीयर के लंबे घूंट भरते हैं.
कारें और तकनीकी
म्यूनिख महज़ रोचक टूरिस्ट गाह नहीं है. ये एक फलता फूलता आर्थिक पावरहाउस भी है. बावरिया के कार निर्माता बीएमडब्लू, इलेक्ट्रॉनिक्स का दिग्गज सीमेंस और डाएमलेर-क्राइसलर एयरोस्पेस सब्सिडियरी, डीएएसए जैसे प्रतिष्ठानों के मुख्यालय म्यूनिख में हैं. प्रांतीय सरकार ने हाईटेक कंपनियों और शोध परियोजनाओं को शहर में लाने की भारी मशक्कत की है. ख़ासकर जैव तकनीकी और सूचना प्रौद्योगिकी के लिए शहर के दरवाजे खुले हुए हैं.
अध्ययन और शोध
और ये भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं कि म्यूनिख उच्च शिक्षा का झंडाबरदार भी है. क़रीब एक लाख छात्र शहर के दस विश्वविद्यालयों में नामांकित हैं. प्रसिद्ध शोध संस्थाओं, माक्स प्लांक सोसायटी और फ्राउनहोफर सोसायटी के मुख्य दफ़्तर म्यूनिख में ही हैं.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, म्यूनिख के दो छात्र हिटलर के ख़िलाफ़ एक प्रतिरोधी संगठन खड़ा करने के लिए याद किए जाते हैं. उनके उदाहरण से समझा जा सकता है कि यहां नात्सियों को ख़ामोशी से स्वीकार नहीं किया गया था. सोफी शॉल और उनके भाई हांस ने हिटलर के ख़िलाफ़ “वाइज़े रोज़े” यानी ‘सफेद गुलाब' नाम से प्रतिरोध का आंदोलन छेड़ा था. इस आंदोलन की भनक नात्सी हुकूमत को लग गयी, इसके कार्यकर्ताओं को जेल में ठूंस दिया गया और हांस और सोफी को 1943 में फांसी दे दी गई. लेकिन अब भी म्यूनिख अपने दो दिलेर छात्रों की कुरबानी और साहस को नहीं भूला है.
कला का म्यूनिख
म्यूनिख के निवासी शताब्दियों से अपने कला प्रेम के लिए जाने जाते रहे हैं. बारोक्यू काल और रोकोको काल में यहां जो कला कृतियां बनी थीं उनकी तुलना इतालवी और फ्रांसीसी काम से की जाती है. नव क्लासिकी शैली में हुए विकास और निर्माण कार्यों ने म्यूनिख को एक अलग ही नाम दे दिया- एथेंस ऑन इत्ज़ार. यानी इत्ज़ार नदी का एथेंस शहर. शहर के लुडविगस्ट्रास या क्योनिंगप्लात्ज़ से आप गुज़रे तो आपको इस नाम के पीछे छिपा मर्म समझ आ जाएगा. आप ग्लीपिटोथेक भी जा सकते हैं जहां चित्रकार लुडविग प्रथम के यूनानी और रोमन मूर्तिशिल्प का संग्रह रखा हुआ है. 19 वीं सदी के आखिर में म्यूनिख एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स को यूरोप के आला कला स्कूलों में गिना जाता था. दुनिया के चोटी के थियेटर, ऑपेरा हाउस और संग्रहालय म्यूनिख में हैं.
म्यूनिख के मेले यानी जीवन संगीत
म्यूनिख की ख़ूबियां सिर्फ कला तक सीमित नहीं हैं. जर्मनी का सबसे बड़ा लोक महोत्सव ओक्टोबरफेस्ट हर साल म्यूनिख में ही अपनी शान बिखेरता है. शानदार दुकानें पेरिस और मिलान के बाज़ारों का मुक़ाबला करती हैं. सामान की गुणवत्ता में भी और अपनी कीमतों में भी. म्यूनिख में कई टीवी स्टेशन और फिल्म स्टुडियो हैं. तीन सौ के क़रीब पुस्तक प्रकाशनों और अख़बारों के मुख्य दफ़्तर म्यूनिख में हैं.
म्यूनिख एक मोहकता भरा शहर है. जीवंत और उद्दाम शहर. म्यूनिख जैसे एक खोज का मोह है. अगर आप किसी शहर में जाएं और उसका अर्थ खोज लें तो ये आपकी क़ामयाबी है. उस शहर की भी ये जीत है. म्यूनिख ऐसा ही विजयी लेकिन विनम्र शहर है.