जबरन दूर किए गए बच्चों का सरकार के खिलाफ मुकदमा
२८ अप्रैल २०२१दशकों पहले ऑस्ट्रेलिया के श्वेत नागरिकों और मूल निवासियों का जबरदस्ती मिश्रण कराने के लिए आधिकारिक नीतियां लागू की गई थीं. हजारों मूल निवासी परिवारों और टोर्रेस स्ट्रेट द्वीप समूहों के मूल निवासी परिवारों के बच्चों को जबरन उनके परिवारों से अलग कर श्वेत परिवारों के साथ धात्रेय या फॉस्टर देख-रेख में डाल दिया गया था. यह नीतियां 1970 के दशक तक चलीं. अब वो बच्चे बड़े हो गए हैं और उन्होंने मिलकर इसके लिए सरकार की जवाबदेही तय करने की ठानी है.
उनमें से कइयों ने मिल कर सरकार के खिलाफ क्लास एक्शन मामला दर्ज कराया है और उनके साथ हुए अन्याय के लिए मुआवजे की मांग की है. इन लोगों को अब "चुराई पीढ़ी" या "स्टोलेन जेनेरेशंस" के नाम से जाना जाता है. उस काल में उन्हें उनकी अपनी भाषाएं बोलने और अपनी संस्कृति का पालन करने के लिए भी सजा दी जाती थी. उनमें से कई फिर कभी अपने मां-बाप और अपने भाई-बहनों को देख तक नहीं पाए.
शाइन लॉयर्स नाम की लीगल कंपनी के त्रिस्तान गैविन ने बताया कि उनकी कंपनी ने बुधवार 28 अप्रैल को लगभग 800 लोगों की ओर से यह मामला दर्ज किया. ये सभी नॉर्दर्न टेरिटरी के रहने वाले हैं. माना जा रहा है कि उनके जैसे हजारों लोग इस मुकदमे से जुड़ने के योग्य हैं. ऑस्ट्रेलिया के कई राज्य इस समस्या को समझते हैं और वहां की सरकारों ने इस "चुराई पीढ़ी" के लोगों के लिए कई तरह की योजनाएं बनाई.
जिस समय ये अत्याचार किए गए उस समय नॉर्दर्न टेरिटरी की कानूनी जिम्मेदारी केंद्र सरकार के पास थी, लेकिन उसने अभी तक इन लोगों के लिए कोई नीति लागू नहीं की है. गैविन कहते हैं, "टेरिटरी में मूल निवासी परिवारों को उजाड़ देने की जिम्मेदारी राष्ट्रमंडल की थी और राष्ट्रमंडल को ही प्रायश्चित करना पड़ेगा. पहले की गलतियों को स्वीकारे बिना भविष्य को सुधारना असंभव है."
लगभग 2,50,000 लोगों की आबादी वाली टेरिटरी में इस तरह का पहला मामला है. यहां की कुल आबादी में से लगभग एक-तिहाई मूल निवासी हैं. 84 वर्ष की हेदर ऐली को नौ साल की उम्र में उनकी मां से अलग कर दिया गया था. वो कहती हैं कि उस तजुर्बे से वो "कई सालों तक टूटा हुआ महसूस करती रहीं. उन्होंने बताया, "उन्होंने पूरी पीढ़ियां ऐसे मिटा दीं जैसे वो कभी थी ही नहीं. मैं इस मुकदमे में इसलिए शामिल हुई हूं क्योंकि मेरा मानना है कि हमारी कहानियां बताई जानी चाहिएं."
मुकदमा लड़ने का खर्च लिटिगेशन लेंडिंग सर्विसेज उठा रही है, जिसने 2019 में क्वींसलैंड में मूल निवासियों को भुगतान नहीं किए गए वेतन के खिलाफ एक मुकदमे का भी समर्थन किया था. शाइन लॉयर्स ने बताया कि इस मुकदमे में मुआवजे की रकम तो अभी तय नहीं की गई है, लेकिन अगर वे जीत गए तो खर्च उठाने वाली संस्था को 20 प्रतिशत कमीशन मिलेगा. मूल निवासी मामलों के मंत्री केन वायेटके एक प्रवक्ता ने कहा कि "अदालत में दायर एक कानूनी मामले पर टिप्पणी करना मंत्री के लिए अनुचित होगा." मामले में पहली सुनवाई जून में होगी.
सीके/एए (एएफपी)