भूखों मरने की नौबत से घिरे फिलीपींस के मछुआरे
२८ मई २०२१दक्षिण चीन सागर के विवादित जलक्षेत्र में चीन के कथित कब्जे और विस्तार से का मछुआरा समुदाय लंबे समय से परेशान रहा है. महामारी के चलते आ रही आर्थिक मुश्किलों ने अब मछुआरों के हालात बद से बदतर बना दिए हैं. सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुताबिक, दक्षिण चीन सागर के विवादित इलाकों पर कब्जे और अधिकार को लेकर बढ़ते तनाव और कोविड-19 महामारी के लॉकडाउन से मछुआरों के जीवन पर बन आयी है.
जामबेल्स और पांगासिनान उत्तरी प्रांतों के मछुआरों के संगठन बिगकिस के सदस्यों का कहना है कि फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में चीनी जहाजों की मौजूदगी उनके काम में बाधा पहुंचाती है. इसके अलावा, क्वॉरंटीन से जुड़े चेकपॉइंट्स की वजह से बड़े मछली बाजारों तक माल की ढुलाई भी नहीं हो पा रही है. मजबूरन बिगकिस संगठन के सदस्यों को अपना माल कम दाम में यानी नुकसान उठाकर बेचना पड़ रहा है.
35 साल के विसेंटे पाउआन ने डीडब्ल्यू को बताया कि उसके जैसे मछुआरे, दक्षिण चीन सागर में चीन के "आक्रामक” अतिक्रमण से प्रभावित हुए हैं. ये सिलसिला 2012 से चला आ रहा है जब चीन ने पहली बार द्वीपों और प्रवालद्वीपों पर सैन्य ढांचे खड़े करना शुरू किया था. पाउआन कहते हैं, "परिवार का पेट भरने लायक मछली भी हम नहीं निकाल पाते. नुकसान में बेचते हैं और कर्ज में डूबे हुए हैं. हम भूखों मर जाएंगे.”
रोजी-रोटी चलाने के लिए निर्माण कार्यों में मजदूरी जैसे विकल्प भी अब नहीं बचे हैं. लॉकडाउन की लंबी अवधियों के चलते आर्थिक मंदी आ गयी है. पीपल्स डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट नामक एनजीओ के अध्यक्ष रिया टेवेस ने डीडब्ल्यू को बताया, "हमारे मछुआरे हाशिए पर फेंके जा चुके हैं. हम यहां सिर्फ जीविका की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि ये तो जीने के अधिकार का मुद्दा भी हैं.”
चीन ने जलक्षेत्र में किया ‘भड़काऊ' सैन्यीकरण
चीन लगभग समूचे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है. हालांकि द हेग की अंतरराष्ट्रीय अदालत ने 2016 में चीन के दावों को अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत बताया था. विवादित जल-क्षेत्र के जरिए हर साल करीब तीन खरब डॉलर के व्यापार की आवाजाही होती है. यह संपन्न फिशिंग इलाका भी है. यहां खूब मछलियां मिलती हैं. मार्च 2020 में फिलीपींस और चीन के बीच तनाव उस वक्त चरम पर पहुंच गया था जब सैकड़ों चीनी जहाज दक्षिण चीन सागर के विवादित हिस्सों में देखे गए थे.
फिलीपींस के रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटेर्टे के कानूनी सलाहकार का दावा है कि "डराने-धमकाने वाले” इन चीनी जहाजों की कमान मिलिशिया यानी अपराधी गिरोह संभालता है. फिलीपींस के रक्षा मंत्री डेल्फिन लॉरेन्जाना ने चीन की समुद्री उपस्थिति की आलोचना करते हुए उसे "क्षेत्र के सैन्यीकरण की एक भड़काऊ कार्रवाई” बताया. फिलीपींस की राजधानी मनीला में चीनी दूतावास ने मिलीशिया की मौजूदगी से इंकार किया है.
डुटेर्टे को अपने मछुआरों की ‘परवाह नहीं'
लेकिन फिलीपींस के राष्ट्रपति डुटेर्टे की नजर बड़े चीनी निवेश पर भी है लिहाजा वह उसकी सीधी आलोचना से बचते रहे हैं. उनका कहना है कि द हेग की अदालत का 2016 का फैसला "कागज का महज एक टुकड़ा है जिसे रद्दी की टोकरी में फेंक देना चाहिए.” जुलाई में डुटेर्टे ने कहा कि दक्षिण चीन सागर चीन के "पास” है. इलाके पर फिलीपींस के दावे को पुरजोर ढंग से न रख पाने के लिए आलोचना का शिकार बन रहे डुटेर्टे जवाब में कहते हैं, "चीन उस पर दावा कर रहा है. हम भी दावा कर रहे हैं...चीन के पास हथियार हैं...हमारे पास नहीं हैं. बात बिल्कुल सीधी सी है...हम क्या कर सकते हैं.”
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज अंतोनियो कार्पिओ ने राष्ट्रपति से अपने बयानों को वापस लेने की सार्वजनिक अपील की है. उन्होंने चेताया कि डुटेर्टे के बयानों का फिलीपीनी मछुआरों पर गहरा असर पड़ेगा. कार्पिओ कहते हैं, "एक तरफ आप दुनिया के सबसे बड़े फिशिंग बेड़े को अपने पानी में घुसने की इजाजत दे रहे हैं, दूसरी तरफ अपने मछुआरों को मना कर रहे हैं...डुटेर्टे को देश के मछुआरों की परवाह ही नहीं है.” वह कहते हैं, "ये बहुत खराब बात है. हमारा कमांडर इन चीफ, जिस पर हमारे इलाकों की हिफाजत का जिम्मा है, हमारे संप्रभु अधिकारों की हिफाजत ही नहीं करना चाहता है.” उनके मुताबिक डुटेर्टे के रहते तो फिलीपींस चीन को कभी चुनौती नहीं दे पाएगा.
चीन पर मुंह बंद रखने का आदेश
विवादित जल क्षेत्र में चीनी हरकत के खिलाफ मंत्रियों के मुंह खोलने के हफ्तों बाद डुटेर्टे ने 17 मई को गैग ऑर्डर जारी कर दिया और इस तरह अपनी कैबिनेट पर भी दक्षिण चीन सागर को लेकर सार्वजनिक रूप से बोलने की पाबंदी लगा दी. उनका कहना था, "अगर बात करनी है तो आपस में ही करनी है, बाहर नहीं.” डुटेर्टे का मानना है कि फिलीपींस अपने अधिकार वाले जलक्षेत्र की हिफाजत करता रहेगा, उन्होंने समुद्री गश्ती दलों को अपना काम जारी रखने का निर्देश भी दिया.
सुरक्षा विशेषज्ञ खोहे अंतोनियो कस्टोडिओ, राष्ट्रपति के इस कदम को महज दिखावा करार देते हुए उसे जनसंपर्की स्टंट करार देते हैं. कस्टोडिओ ने बताया, "देश का मुख्य कार्यकारी चीन के मामले में पूरी तरह से दब्बू बना हुआ है. देखा जाए तो चीन हम पर सामरिक जीत पहले ही हासिल कर चुका है.” राजनीतिक विश्लेषक रिचर्ज हेडारियान का कहना है कि चीन के मामले में एक ओर डुटेर्टे का पीछे हटने वाला रवैया है तो दूसरी ओर विदेश और रक्षा मंत्रियों जैसे उनके वरिष्ठ सहयोगियों और आला अधिकारियों का कड़ा रुख है. इससे यह संकेत भी मिलता है कि विदेश नीति पर डुटेर्टे का एकछत्र प्रभाव नहीं है.
मछलीपालन सेक्टर का पतन
जलक्षेत्र पर सीमाई दावे न होने के बावजूद पश्चिमी शक्तियों ने हाल में दक्षिण चीन सागर में अपने नौसैनिक बेड़ों को इलाके में चीन के विस्तारवादी कदम को चुनौती देने का निर्देश दिया है. लेकिन शक्ति का ये बहुराष्ट्रीय प्रदर्शन, विवाद को फिलीपींस के पक्ष में नहीं झुका पाएगा. फिलीपींस यूनिवर्सिटी में समुद्री मामलों और समुद्री कानून संस्थान के निदेशक जय बाटोंगबकाल कहते हैं, "नौसैनिक आवाजाही को लेकर तो हमारी साझेदारी है, उसमें हमारे हित मिलते हैं, लेकिन मछली पकड़ने के अपने अधिकारों की हिफाजत तो हम ही करेंगे, और कोई नहीं.”
बाटोंगबकाल कहते हैं कि दक्षिण चीन सागर में चीनी विस्तार तो हर हाल में होना ही था. वह कहते हैं, "चीन की आबादी एक अरब से ऊपर की है. उसे अपनी उतनी विशाल आबादी को खिलाना है. इसमें कुछ भी आदर्श या राजनीति की बात नहीं है, ये सीधे-सीधे व्यवहारिक सी बात है.” उनके मुताबिक, "धीरे धीरे हम लोगों के हाथ बहुत कम मछली आएगी क्योंकि चीन जरूरत से ज्यादा फिशिंग करता रहेगा. जल्द ही हम अपने फिशिंग सेक्टर को ढहता हुआ देखेंगे.”
रिपोर्ट: अना पी. सांतोस