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"भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हैं रोहिंग्या"

१५ सितम्बर २०१७

भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थी देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं. सरकार इन शरणार्थियों को देश के बाहर भेजना चाहती है. सरकार के इस कदम की काफी आलोचना हो रही है. 

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Rohingya Krise in Bangladesch
तस्वीर: DW/M.M. Rahman

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक अज्ञात वकील के हवाले से यह खबर दी है. भारत की सर्वोच्च अदालत प्रधानमंत्री के उस फैसले को दी गयी चुनौती पर सुनवाई कर रही है जिसमें देश में रहने वाले 40 हजार रोहिंग्या शरणार्थियों को बाहर भेजने की बात है. दिल्ली में रहने वाले दो रोहिंग्या लोगों ने प्रधानमंत्री के फैसले को चुनौती दी है. ये दोनों छह साल पहले म्यांमार के रखाइन में हिंसा के बाद भाग कर दिल्ली आ गये थे.

Rohingya Krise in Bangladesch
तस्वीर: DW/M.M. Rahman

रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने का भारत सरकार का निर्णय ऐसे समय में आया है जब म्यांमार की सेना रखाइन में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई करने में जुटी है और हर दिन हजारों की तादाद में शरणार्थी बांग्लादेश में शरण लेने के लिए पहुंच रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार की सेना की कार्रवाई को "जातीय सफाया" कहा है.

म्यांमार से भाग कर भारत आये रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या पिछले एक दशक में 40 हजार तक पहुंच गयी है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इनमे से करीब 15 हजार लोगों को शरणार्थी दस्तावेज दिये गये हैं. हालांकि भारत इन सभी को देश से बाहर भेजना चाहता है.

Rohingya Krise in Bangladesch
तस्वीर: DW/M.M. Rahman

रोहिंग्या मुसलमानों को बौद्ध बहुल म्यांमार में नागरिकता नहीं दी जाती और उन्हें अवैध प्रवासी कहा जाता है. हालांकि रोहिंग्या खुद का म्यांमार से सदियों पुराने जुड़ाव होने का दावा करते हैं. भारत के सत्ताधारी गठबंधन से जुड़े कुछ दलों ने रोहिंग्या को भारत से निकालने की मांग शुरू कर दी है. बीते हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि वे रखाइन में हुई "आतंकवादी हिंसा" से उपजी चिंता को समझते हैं.

गुरुवार को भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वरिष्ठ वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, "सरकार रोहिंग्या लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानती है." वकील के मुताबिक भारत की खुफिया एजेंसियों को संदेह है कि भारत में रोहिंग्या मुसलमानों के नेता पाकिस्तान से चलने वाले आतंकवादी संगठनों के संपर्क में हैं. वकील ने अपना नाम जाहिर करने से इनकार किया क्योंकि उनका कहना है कि भारत सरकार का गृह मंत्रालय कोर्ट में दाखिल करने के लिए इस बारे में हलफनामा तैयार कर रहा है और यह अभी अंतिम रूप से तैयार नहीं है.

Rohingya Krise in Bangladesch
तस्वीर: DW/M.M. Rahman

बांग्लादेश का रुख भी रोहिंग्या मुसलमानों के प्रति कठोर है क्योंकि चार लाख से ज्यादा रोहिंग्या म्यांमार में 1990 के दशक से ही रह रहे हैं. बांग्लादेश से ही कुछ रोहिंग्या सीमा पार कर भारत भी आये हैं. राहत संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर भेजने की आलोचना की है. कुछ वकीलों का यह भी कहना है कि शरणार्थियों को वापस भेजना भारत के संविधान का उल्लंघन होगा. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सोमवार को अगली सुनवाई कर सकता है. भारत सरकार ने इसी हफ्ते 53 टन राहत सामग्री बांग्लादेश पहुंचे रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए भेजी है.

एनआर/एके (रॉयटर्स)