भक्ति और विवाद के साथ चलते कांवड़िए
सावन के महीने में उत्तर भारत में कांवड़ यात्रा निकाली जाती है. पिछले दिनों दिल्ली समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में लगे सड़कों पर जाम और हिंसक घटनाओें की वजह से कांवड़ियों को लेकर विवाद रहा.
शिवजी का जलाभिषेक करते हैं
कांवड़ यात्रा में लोग हरिद्वार या फिर किसी अन्य जगह से गंगाजल भरकर अपने आस-पास के शिव मंदिर में पूजा करते हैं और उसी जल से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं.
ज्योतिर्लिंगों में होती है खासी भीड़
झारखंड के बाबा बैद्यनाथ धाम और बनारस के विश्वनाथ मंदिर जैसे मशहूर शिव मंदिरों में विशेष तौर पर भीड़ रहती है क्योंकि दूर-दराज से तमाम लोग यहां आकर जल चढ़ाने में विशेष पुण्य समझते हैं.
कांवड़ की खास सजावट
सामान्य रूप से कांवड़ एक बांस के डंडे से बनाई जाती है जिसके दोनों सिरों पर डिब्बों या लोटों में गंगाजल भरकर ले जाया जाता है. कांवड़ को अक्सर विशेष तरीके से सजाया भी जाता है.
डीजे का बढ़ रहा चलन
कांवड़ यात्रा के दौरान ज्यादातर कांवड़िए समूहों में चलते हैं. ये लोग या तो एक ही गांव के होते हैं या सगे संबंधी होते हैं. समूह में चलते वक्त अक्सर बड़े-बड़े डीजे की धुनों पर कांवड़िए नाचते-गाते और जयकारा लगाते हुए भी चलते हैं.
रास्ते में जलपान की व्यवस्था
रास्ते में जगह-जगह कांवड़ियों के स्वागत में लोग नि:शुल्क जलपान, भोजन इत्यादि की व्यवस्था करते हैं और इसके लिए सड़क के किनारे शिविर लगाते हैं.
महिलाएं और बच्चे भी कर रहे यात्रा
आमतौर पर कांवड़ लेकर पुरुष ही चलते हैं लेकिन कई जगहों पर महिलाएं भी चलती हैं. पिछले कुछ सालों से ये चलन काफी आम हो गया है. कई बार बच्चे भी कांवड़ यात्रा में शामिल होते हैं.
सड़कों पर जाम से परेशानी
कांवड़ यात्रा कई बार विवादों में भी घिर जाती है, जब कांवड़ियों की वजह से जगह-जगह जाम लग जाता है, आम लोगों का कुछ कांवड़ियों से विवाद कई बार हिंसक भी हो जाता है.