ब्रिटेन में आम चुनाव, कितनी मुश्किल है मे की राह?
८ जून २०१७सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी का मुकाबला विपक्षी लेबर पार्टी से है. मे ने अप्रैल में आम चुनाव कराने की घोषणा की थी, जब सर्वेक्षणों में उनकी कंजरवेटिव पार्टी की लोकप्रियता आसमान छू रही थी. उन्होंने खुद को एक मजबूत नेता के तौर पर पेश करते हुये कहा कि ब्रेक्जिट वार्ताओं में मजबूती से अपने देश का पक्ष रखेंगी और इसके लिए वह नया जनादेश चाहती हैं.
लेकिन हाल के दिनों में पहले मैनचेस्टर और फिर लंदन में हुये आतंकवादी हमलों ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. प्रधानमंत्री बनने से पहले छह साल तक ब्रिटेन की गृहमंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल पर सवाल उठ रहे हैं. उन पर ऐसे कदम उठाने के आरोप लग रहे हैं जिन्होंने एक सुरक्षित जगह के तौर पर ब्रिटेन की छवि को नुकसान पहुंचाया है.
दूसरी तरफ, युद्ध विरोधी मुहिमों में सक्रिय रहे विपक्षी नेता जेरमी कोर्बिन ने धुआंधार प्रचार किया और जनता से बदलाव का वादा करते हुये सरकारी खर्चों में होने वाली कटौतियों को खत्म करने की बात कही है. हालांकि लेबर पार्टी में ही कोर्बिन को बहुत से सांसदों का समर्थन प्राप्त नहीं है.
ज्यादातर चुनाव सर्वेक्षणों में सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी की जीत का अंदाजा लगाया जा रहा है जबकि कुछ का कहना है कि मे 650 सदस्यों वाले ब्रिटिश संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में अपना बहुमत खो सकती हैं. लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी में राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर टिम बेल कहते हैं, "मैं अपना दांव कंजरवेटिव पार्टी की आसान जीत पर लगाता हूं, लेकिन क्या पता, क्या हो जाये?" हालांकि कई सर्वे विशेषज्ञ चुनाव नतीजों की भविष्यवाणी करने से बच रहे हैं क्योंकि पिछले साल यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के निकलने के लिए हुए ब्रेक्जिट जनमत संग्रह पर उनकी भविष्यवाणियां गलत साबित हो चुकी हैं.
उधर बुधवार को चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में मे ने कहा है कि उन्हें तय समय से तीन साल पहले चुनाव कराने का कोई अफसोस नहीं है. उन्होंने कहा, "मुझे चुनाव प्रचार में मजा आया. लोग जब वोट देने आयेंगे तो उनके सामने स्पष्ट विकल्प होंगे. उन्हें जेरमी कोर्बिन का अव्यवस्था वाला गठबंधन चुनना है या फिर मेरे और मेरी टीम के साथ मजबूत और स्थिर नेतृत्व."
एके/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)