बुंडेसलीगा में एशियाई खिलाड़ियों ने मचाई धूम
१८ अगस्त २०१०हेउंग मिन सोन को वह लम्हा लंबे समय तक याद रहेगा. सामने से आते हुए डिफ़ेंडर रिकार्डे कावालहो को ड्रिबल करते हुए उन्होंने गेंद निकाली. सामने गोल पोस्ट. और चुपचाप उसने गेंद को पोस्ट की ओर खिसका दिया. और इस गोल का मतलब था चेल्सी पर हैम्बर्ग की जीत. 18 साल के दक्षिण कोरियाई खिलाड़ी के बारे में क्लब के कोच आर्मिन फेह का कहना है कि वह इस उम्र में जैसा खेल दिखा सकते हैं, 30 साल के अनुभवी खिलाड़ी भी नहीं दिखा सकते. वह कहते हैं, "मुझे पता है कि ऐसे नौजवान खिलाड़ी की बहुत अधिक तारीफ नहीं करनी चाहिए. लेकिन फिर भी मैं तारीफ करता हूं, और रुक नहीं सकता हूं."
एक एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत सोन दो साल पहले हैम्बर्ग के क्लब हामबुर्गर एसवी में आए थे, और क्लब की ए-टीम में खेल रहे थे. उन पर लोगों की नज़र नहीं पड़ी थी. लेकिन इस सीज़न में अचानक उनके खेल मे निखार आ गया है. बुंडेसलीगा शुरू होने से पहले ट्रायल मैचों में वह 9 गोल दाग चुके हैं, और क्लब के स्टार स्ट्राइकर रूड फान निस्टेलरॉय या म्लादेन पेत्रिच के साथ उनका नाम लिया जा रहा है.
जापान के 21 साल के शिनजी कागावा अपने देश के क्लब सेरेजो ओसाका से बोरुसिया डॉर्टमुंड में आए हैं. डॉर्टमुंड के कोच उनके बारे में इतना ही कहते हैं: लाजवाब! शिनजी की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि उनके दोनों पैर बराबर चलते हैं और उन्हें मध्य मैदान में और साथ ही स्ट्राइकर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. जापान में भी गोलपोस्ट के सामने उन्हें बेहद ख़तरनाक माना जाता था. पिछले सीज़न में जापान की दूसरी लीग में उन्होंने 27 गोल दागे थे. इस सीज़न में ट्रायल मैचों में ख़ासकर उनके डबल पास को देखकर सभी दंग रह गए हैं.
और शाल्के 04 की टीम में इस साल एशिया से दो खिलाड़ी लाए गए हैं. चीन के हाओ जुनमिन और जापान के आतसुतो उचिदा. 23 साल के हाओ राइट विंग में खेलते हैं और जल्द ही गोलपोस्ट के सामने पहुंचने में माहिर हैं. 2004 में ही चेल्सी ने उनमें दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन बात बनी नहीं. उनके बाद वह अपने देश में खेलते रहे और 2005 और 2007 में सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी चुने गए. लेकिन डिफेंडर उचिदा को टीम में शामिल करने की संभावना ज़्यादा है. डिफेंस के खिलाड़ी होने के बावजूद वह काफी आगे तक बढ़ सकते हैं, तकनीकी दृष्टि से बहुत अच्छे हैं, उनका खेल बेहद अनुशासित है. दौड़ने में भी वह काफी तेज हैं.
एक कमी इन खिलाड़ियों में जरूर है. वे कद्दावर नहीं हैं. लेकिन कम से कम शाल्के के कोच मागाथ इस बात का ख्याल रखेंगे कि 90 मिनट या उससे भी ज्यादा खेलने का दमखम उनमें हो.
रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन: ए कुमार