बीजिंग की सड़कों पर किराये की साइकिलों का जलवा
२९ दिसम्बर २०१८कई दशकों तक चीन में बीजिंग शहर के योजनाकार उसे कारों के लिए सुविधाजनक बनाने में जुटे रहे. ऐसी जगहें जहां कारें बेरोकटोक हवा से बातें कर सकें और उन्हें खड़े होने, सुस्ताने और खुराक हासिल की जगह आसानी से मिल सके. नतीजा यह हुआ कि शहर की सड़कों पर धुएं और भीड़ ने लोगों का ही जीना मुहाल कर दिया. शहर में 60 लाख कारें हैं और जिस शहर में कभी साइकिल राज था वो ट्रैफिक जैम की राजधानी बन गया.
दो साल पहले आधुनिक तकनीक से लैस साइकिलों ने बीजिंग में दस्तक दी. इन साइकिलों को किराये पर लिया जा सकता था. मोबाइल ऐप की मदद से 30 सेंट यानी करीब आधे घंटे के लिए 40 रुपये दे कर इसे आप कहीं भी ले जा सकते हैं और फिर यात्रा करने के बाद वहीं छोड़ सकते हैं. ये रंग बिरंगी साइकिलें अब शहर में हर तरफ नजर आने लगी हैं.
किराये पर साइकिल देने वाली पहली कंपनी थी मोबाइक जिसने 2016 में यह काम शुरू किया. दुनिया भर के 20 करोड़ से ज्यादा लोग इस कंपनी की साइकिल इस्तेमाल करते हैं. मोबाइक कंपनी के प्रमुख स्टीवन ली बताते हैं, "शुरू में गलाकाट प्रतिस्पर्धा थी. उस समय बाजार में 100 से ज्यादा कंपनियां थीं. अब तीन से चार रह गई हैं. अभी भी हम मुनाफा नहीं कमा रहे हैं, लेकिन हम धीरे धीरे उस ओर बढ़ रहे हैं. सितंबर में हमारे नतीजे बहुत अच्छे थे. इतना तो मैं आपको बता ही सकता हूं."
बीजिंग में ज्यादातर लोग साइकिल का इस्तेमाल छोटी दूरी के लिए करते हैं. जैसे घर से मेट्रो स्टेशन या फिर स्टेशन से अपने दफ्तर, स्कूल, कॉलेज, बाजार के लिए. हालांकि इन साइकिलों के आने के बाद अब लोग लंबी दूरी भी साइकिल से जाने लगे हैं. जर्मन विकास संस्थान जीआईजेड की सांड्रा रेत्सर चीन के परिवहन मंत्रालय को इस बारे में सलाह दे रही हैं. उनका कहना है, "ये उन बाइक शेयरिंग कंपनियों का सकारात्मक असर है कि वहां सोच में बदलाव सामने आया है. बहुत से शहरों का प्रशासन अब सोच रहा है कि ऐसा क्या किया जाना चाहिए कि लोग साइकिल चलाना पसंद करें."
लोगों को साइकिल तक लाने के लिए शहरों ने साइकिल लेन बनाई है, लेन चौड़ी हैं और लोग आसानी से आगे बढ़ते हैं. कुछ बाधाएं भी हैं, जैसे कि जब कार के लिए मुड़ने की लाइट होती है तो साइकिल के लिए सीधे जाने का सिग्नल होता है. इतना ही नहीं अभी भी बहुत से कार वाले अपनी गाड़ी साइकिल लेन के उपर पार्क कर देते हैं या वहां रोक लेते हैं. यानि बहुत कुछ करना बाकी है.
किराये के साइकिलों में आई तेजी के नतीजे भी मिले जुले हैं. कंपनियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा का असर ये हुआ है कि सड़कों पर बहुत ज्यादा साइकिलें आ गई हैं, और उन्हें अक्सर किनारे धकेल दिया जाता है.
शहर के बाहरी हिस्से में साइकिलों का अंबार लगा है. ये वो साइकिलें हैं जिन्हें शहर प्रशासन ने शहर से इकट्ठा कर यहां जमा कर दिया है. तकरीबन हर चीनी शहर में इसी तरह के साइकिलों की कब्रगाह हैं. जो कंपनियां दिवालिया नहीं हुई हैं उन पर सरकार ने इसका एक हिस्सा लेने के लिए दबाव बनाया है. बाकी साइकिलों का क्या होगा इसके बारे में किसी को कुछ नहीं पता.
शहर में कुछ लोगों का काम है यहां वहां फैली साइकिलों को जमा करना. मिस्टर डोंग भी उन्हीं में से एक हैं. बीजिंग के आईटी हब झोंगगुआनकुन में वे हर दिन गली मुहल्लों से गुजरते हैं और साइकिल जमा करते हैं.
वे इन साइकिलों को वहां पहुंचाते हैं जहां इनकी जरूरत है, मेट्रो स्टेशन के गेट पर. झोंगगुआनकुन किराये पर साइकिल लेने वालों का गढ़ है. मिन्टर डोंग एक साल पहले अपने गांव से बीजिंग आए हैं और अब रोज के हिसाब से काम करते हैं. महीने में वे करीब 600 यूरो यानि करीब 40 हजार रुपये कमा लेते हैं.
बीजिंग के युवाओं को साइकिल चलाने का पुराना मजा मिल रहा है. लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए और भी बहुत कुछ हो रहा है. मसलन बीजिंग में आप अपनी साइकिल खुद भी डिजाइन कर सकते हैं. नैटूके बाइक्स नाम की एक छोटी सी दुकान में यह संभव है. दुकान में काम करने वाली फ्रेडा फू बताती हैं, "आप अपनी पसंद का कोई भी कलर ले सकते हैं. कुछ ग्राहक किराये की साइकिलों का इस्तेमाल कर साइकिल चलाना सीख रहे हैं. वे उनका इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उनका यह आरामदेह नहीं लगता, कोई बहुत छोटा है, तो कोई बहुत मुश्किल से चलने वाला, कोई छोटी दूरी के लिए ठीक है. बहुत सी किराये की साइकिल खस्ताहाल हैं, उनकी ठीक से मरम्मत नहीं होती. इस अनुभव के बाद बहुत से लोग अपनी साइकिल खरीदना चाहते हैं."
किराये की साइकिलों ने बीजिंग को मौका दिया है खत्म हो चुके साइकिल राज और आधुनिक महानहर में सामंजस्य लाने का.
माथियास बोएलिंगर