बांग्लादेश: रोहिंग्या मुसलमानों को वापस ले म्यांमार
२० सितम्बर २०१७संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेनी न्यूयॉर्क पहुंची बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने म्यांमार से करीब 4 लाख रोहिंग्या मुसलमानों को वापस लेने की बात कही है. हसीना चाहती हैं कि रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार वापस भेजने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बने. 25 अगस्त को म्यांमार के रखाइन प्रांत में फैली हिंसा के बाद से अब तक लाखों रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश का रूख कर चुके हैं.
न्यूयॉर्क में एक बैठक के दौरान उन्होंने कहा, "हम म्यांमार से कह चुके हैं कि रोहिंग्या आपके नागरिक हैं और उन्हें वापस लिया जाना चाहिए, उन्हें सुरक्षित रखें, उन्हें आश्रय दें साथ ही उनके साथ कोई उत्पीड़न और यातनायें न हो."
हसीना ने कहा "म्यांमार को शरणार्थी वापसी पर राजी करने के लिए बांग्लादेश कूटनीतिक प्रयास कर रहा है लेकिन म्यांमार इस पूरे मसले पर कोई जवाब नहीं दे रहा है. यहां तक कि म्यांमार, रोहिंग्या मुसलमानों को सीमा के निकट रोकने के लिए माइंस बिछा रहा है."
इसके पहले अपने बयान में म्यांमार की नेता आंग सान सू ची ने कहा था, "म्यांमार रिफ्यूजी वेरिफिकेशन प्रक्रिया के लिए तैयार है और देश वेरिफाइड रिफ्यूजियों को वापस लेने को तैयार है."
म्यांमार शासन इन रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश से आये अवैध आप्रवासी बता कर नागरिकता देने से इनकार करता रहा है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के मौके पर इस्लामी राष्ट्रों की एक बैठक में हसीना ने कहा "म्यांमार शासन एक प्रायोजित अभियान चला रहा है और इस रोहिंग्या समुदाय को बंगाली बता रहा है". उन्होंने जोर देकर कहा कि म्यांमार में इन्हें नागरिकता दी जानी चाहिए. बांग्लादेश की सरकारी मीडिया एजेंसी मुताबिक हसीना ने मुस्लिम देशों से इस मसले पर मानवीय सहायता की मांग की है. इसके पहले संयुक्त राष्ट्र रोहिंग्या समुदाय के "जातीय सफाये" को लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुका है. हसीना ने कहा, "यह बेहद ही अमानवीय त्रासदी है. मैं इन लोगों से मिली, इनकी कहानियां सुनी जो दुख-तकलीफ से भरी हैं खासकर महिलाओं और बच्चों के हालात बेहद ही बुरे हैं." उन्होंने कहा, "मैं आप सभी को बांग्लादेश बुला रहीं हूं, आकर उन लोगों से मिलिए और म्यांमार के अत्याचारों के बारे में सुनिये. शरणार्थियों में महिलाओं और बच्चों की संख्या भी बहुत अधिक है."
बांग्लादेश ने रोहिंग्याओं के लिए अपने दरवाजे खोल कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जरूर प्रशंसा पाई है लेकिन सहायता एजेंसियों ने इस बढ़ते मानवीय संकट पर चेतावनी देते हुए कहा है कि प्रशासन के लिए शरणार्थियों की जरूरतें पूरी करना अब एक चुनौती बनता जा रहा है.
एए/एनआर (एएफपी)