फ्रांस में सड़कों पर उतरे लाखों लोग
शार्ली एब्दॉ पर हमले में पत्रकारों को जान से मारने वाले आतंकियों ने सुरक्षा बलों के हत्थे चढ़ने से पहले कुछ और निर्दोष लोगों को भी निशाना बनाया. फ्रांस में करीब 37 लाख लोगों ने इसके विरोध में एकजुटता रैलियां निकालीं.
एक साथ उठे लाखों निडर कदम
फ्रांस में पेरिस की सड़कों समेत कई शहरों और दुनिया भर की कई जगहों पर आजादी और सहिष्णुता के समर्थन में लोग सड़कों पर उतरे. पेरिस में शार्ली एब्दॉ के पत्रकारों और कोशर सुपरमार्केट में आतंकियों के शिकार बने लोगों की याद में हुआ प्रदर्शन.
फ्रांस के इतिहास में सबसे बड़ी रैली
पेरिस के रिपब्लिक स्क्वायर पर लोगों का हुजूम दिखा. फ्रांस के तमाम संगठनों और उग्र दक्षिणपंथी फ्रंट नेशनल को छोड़कर सभी बड़े राजनीतिक दलों ने प्रतिनिधियों ने वहां इकट्ठे होकर रैली में हिस्सा लिया. फ्रांस के गृह मंत्री ने इसे देश के इतिहास का सबसे बड़ा मार्च बताया.
एकजुटता का प्रदर्शन
फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद और जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने विश्व के दूसरे कई देशों के नेताओं के साथ रैली का नेतृत्व किया. इस मार्च में दुनिया भर से आए 50 से भी अधिक बड़े नेताओं ने शिरकत की.
सकते में फ्रांस
7 जनवरी 2015 को व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दॉ के पेरिस कार्यालय पर जानलेवा हमले के बाद भी आतंकियों ने कुछ और लोगों को निशाना बनाया. पत्रिका के प्रमुख संपादक के अलावा उनके नौ सहयोगियों को भी गोली मार दी गई. इस घटना में दो पुलिसकर्मी भी मारे गए.
सभाओं और गहन चर्चाओं का दौर
रैली के पहले यूरोपीय संघ के देशों के गृह मंत्री आतंकवाद से निबटने के उपायों पर चर्चा के लिए मिले. फ्रांस के गृह मंत्री बेर्नार्ड कैजनोएव ने कहा कि हमले से सभी लोकतांत्रिक देश प्रभावित हुए हैं. अमेरिकी एटॉर्नी जनरल एरिक होल्डर ने हिंसक चरमपंथ से निबटने के लिए फरवरी में एक सम्मेलन बुलाने की घोषणा की.
हाई एलर्ट
शार्ली एब्दॉ पर हमले के बाद से ही फ्रांसीसी सुरक्षा बल हाई एलर्ट पर हैं. 11 जनवरी को हुई इस विशाल रैली के दौरान भी पुख्ता सुरक्षा इंतजाम थे. आतंकवादी संगठनों अल कायदा और इस्लामिक स्टेट के समर्थकों ने और भी कई आतंकी हमलों को अंजाम देने की धमकी दी है.
पूरे फ्रांस में निकली रैलियां
पेरिस के अलावा फ्रांस के लियों, बॉर्दो, मार्से (तस्वीर में) और रेने जैसे कई शहरों में भी एकजुटता मार्च हुए.
अंतरराष्ट्रीय एकता
फ्रांस के बाहर जर्मन राजधानी बर्लिन समेत मैड्रिड, ब्रसेल्स और कई बड़े शहरों में रैलियां और प्रदर्शन हुए. बर्लिन में ही करीब 18,000 लोगों ने सड़कों का रुख किया और ब्रांडेनबुर्ग गेट के पास स्थित फ्रेंच एम्बेसी के बाहर इकट्ठे हुए. कईयों ने हाथ में "Je suis Charlie" लिखी तख्तियां ले रखी थीं.