नेपाली लड़कियों की तस्करी में एयरपोर्ट अधिकारियों का हाथ!
९ अगस्त २०१७अंतरराष्ट्रीय संबंध और श्रम अधिकारों के लिए बनायी गयी संसदीय कमेटी ने कहा है कि सरकार देश के बाहर नौकरी कर रहे कामगारों के हितों का ध्यान रखने में नाकाम रही है और उसने तस्करी के आरोपों पर आंख मूंद रखी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल से घरेलू काम के लिए खाड़ी जाने वाले 60 फीसदी से ज्यादा कामगार काठमांडू के मुख्य एयरपोर्ट से देश के बाहर ले जाये जाते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है. "वे टूरिस्ट वीजा पर त्रिभुवन एयरपोर्ट के आव्रजन अधिकारियों, एयरलाइन कर्मचारियों, सुरक्षा अधिकारियों और तस्करों की मिलीभगत से सीधे उड़ान भरते हैं. बाकी लोग भारत, श्रीलंका, चीन और दूसरे अफ्रीकी देशों के जरिये ले जाये जाते हैं."
इन औरतों को खाड़ी के देशों में डिपार्टमेंटल स्टोर और होटलों की अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी का लालच दिया जाता है. वहां जाने पर इन्हें घरों में काम करने के लिए भेज दिया जाता है. आमतौर पर इनके पासपोर्ट पहले ही जब्त कर लिये जाते हैं. नेपाल में नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले लंबे समय से सरकार से देश के बाहर काम कर रहे 40 लाख से ज्यादा नेपालियों के हितों की रक्षा करने की मांग कर रहे हैं. इनमें से ज्यादातर मलेशिया और खाड़ी के देशों में काम करते हैं. सरकारी आकंड़ों से पता चलता है कि विदेशों में काम कर रहे कामगारों से देश में जो पैसा आता है वह देश की जीडीपी का करीब एक तिहाई है. कार्यकर्ता संदेह जताते हैं कि अधिकारी इन देशों पर दबाव डालना ही नहीं चाहते. नेपाल के मानवाधिकार आयोग की प्रवक्ता मोहना अंसारी कहती हैं, "सरकार ने मानव तस्करी की समस्या की ओर से आंख मूंद रखी है."
संसदीय कमेटी के सांसदों ने सऊदी अरब, कुवैत, कतर और संयुक्त अरब अमीरात से भाग कर आयीं कुछ औरतों से मुलाकात की और उनकी आपबीती सुनी. सांसदों की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन महिलाओं में बहुतों ने शारीरिक, मानसिक और यौन हिंसा झेली है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, "कुछ महिलाएं जो भाग निकलीं और दूतावास कार्यालय पहुंचीं उन्होंने मानव तस्करों के बारे में रिपोर्ट बनाई लेकिन विदेश मंत्रालय दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहा."
बीते कुछ सालों में काम के लिए नेपाल से बाहर जाने वाले लोगों की तादाद में काफी इजाफा हुआ है. सरकार के पास मौजूद ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2015 में करीब 5 लाख लोग देश के बाहर गये जबकि 2008 में यह संख्या 2 लाख के करीब थी. इनमें सबसे ज्यादा संख्या निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की है लेकिन हर साल करीब 20 हजार औरतें भी देश के बाहर जा रही हैं.
नेपाल ने पहले महिलाओं के निजी घरों में काम करने पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी. क्योंकि अकसर उनसे कम वेतन में बहुत ज्यादा काम करवाया जाता है और उनके साथ बहुत बुरा सलूक होता है. हालांकि सरकार की यह कोशिश बहुत कारगर नहीं रही.
एनआर/एके (एएफपी)