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दबाव में जर्मन रक्षा मंत्री

६ जून २०१३

यूरोहॉक ड्रोन की मुश्किलें अब जर्मन रक्षा मंत्री थोमस डे मेजियर की मुश्किल बन गई है. उन्होंने इस्तीफा देने से मना कर दिया है लेकिन क्या वे अपना करियर बचा पाएंगे? चांसलर अंगेला मैर्केल के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

थोमस डे मेजियर न तो जोशीले राजनीतिज्ञ हैं और न ही चकाचौंध वाली शख्सियत. एक बार उन्होंने खुद कहा था, "कुछ लोग कहते हैं कि मैं पेपर क्लिप की तरह लगता हूं." हालांकि 59 साल के जर्मन राजनीतिज्ञ के नाम के साथ कुछ प्रशंसनीय विशेषताएं भी जुड़ी हैं. उनके साथी, सहकर्मी और राजनीतिक प्रेक्षक उन्हें शांत, वफादार, भद्र, अनुशासित और दिखावा न करने वाले राजनेता बताते हैं. उन्हें फाइलों में डूब जाने वाला मेहनती माना जाता है, जिन पर भरोसा किया जा सकता है.

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के लिए वे भरोसेमंद साथी और सभी समस्याओं को हल करने वाले रहे हैं. मैर्केल ने उन्हें 2005 में सरकार बनाने पर चांसलर कार्यालय का मंत्री बनाया था. फिर से चुनाव जीतने पर 2009 में उन्हें गृह मंत्री और 2011 में कार्ल थियोडोर सू गुटेनबर्ग के इस्तीफे के बाद रक्षा मंत्री बनाया. उसके बाद से उन्हें अंगेला मैर्केल का संभावित उत्तराधिकारी भी समझा जाने लगा.

Thomas de Maiziere Verteidigungsminister Verteidigungsausschuss des Bundestages 05. Juni 2013
नियंत्रण में नहीं मंत्रालयतस्वीर: Reuters

यूरो-हॉक की मुश्किलें

लेकिन अब रक्षा मंत्री को अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए जूझना पड़ रहा है. टोही ड्रोन यूरो हॉक की विफलता ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया है. अगर उन्हें उनके फैसलों पर पैदा हो रहे संदेहों को दूर करने में सफलता नहीं मिलती तो राजनीतिक क्षेत्र में उनकी बेरोक उड़ान को यह कांड समय से पहले ही खत्म कर सकता है. इसलिए संसद के रक्षा आयोग में उनकी पेशी का बड़ी उत्सुकता से इंतजार हो रहा है.

आयोग में डे मेजियर यह रिपोर्ट देंगे कि उनके पूर्वगामी रक्षा मंत्री द्वारा पास की गई लाखों यूरो की परियोजना विफल कैसे हो गई. क्या उन्होंने समय पर इसमें ब्रेक लगाया, जैसा कि उन्होंने संसद में दावा किया था? या बहुत देर लगा, जैसा कि विपक्ष आरोप लगा रहा है? विपक्ष का कहना है कि डे मेजियर ने ड्रोन की समस्याओं को छुपाया, इसलिए परियोजना पर करोड़ों के अतिरिक्त खर्च के लिए वही जिम्मेदार हैं या फिर उन्होंने परियोजना को हड़बड़ी में रोक दिया, जैसा कि यूरो हॉक बनाने वाली अमेरिकी कंपनी दावा कर रही है. वह इस बात से इंकार कर रही है कि उसने एंटी-कॉलिजन-सिस्टम लगाने से मना किया.

असंतुष्ट सैनिक

वैसे सिर्फ यूरो हॉक की विफलता ही रक्षा मंत्री की छवि को नुकसान नहीं पहुंचा रही. इस समय इस बात की भी जांच चल रही है कि सैनिकों को दोषपूर्ण राइफलें दी गईं. इस सिलसिले में रिश्वतखोरी के आरोप भी लगे हैं. इन बंदूकों की खरीद के सिलसिले में कोबलेंज का अभियोक्ता दफ्तर जर्मन सेना के एक अधिकारी के खिलाफ जांच कर रहा है.

Thomas de Maiziere Kauf Drohne Euro Hawk Archivbild 2011
यूरो हॉक पर करोड़ों की बर्बादीतस्वीर: Reuters

सेना में निराशा की एक वजह डे मेजियर के पूर्वगामी गुटेनबर्ग की पहल पर शुरू किए गए सैन्य सुधार हैं. जर्मन सरकार के सैन्य कमिश्नर हेल्मुट कोएनिग्सहाउस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सैनिकों के बीच माहौल दरअसल अच्छा नहीं है. जर्मन सेनाधिकारियों के संघ के प्रमुख वोल्फराम क्राम कहते हैं, "मैंने सेना में अपने 40 साल के करियर में जवानों के बीच ऐसा खराब माहौल नहीं देखा है."

और जर्मन सेना संघ के प्रमुख ऊलरिष किर्श स्वीकार करते हैं कि डे मेजियर को अपने पूर्वगामी मंत्री से समस्याओं का ढेर मिला है. इसके बावजूद नाकाम ड्रोन परियोजना के वित्तीय नुकसान की जिम्मेदारी डे मेजियर की है. कोई शक नहीं कि उनकी छवि को भारी नुकसान पहुंचा है और मीडिया में उनपर फब्तियां कसी जा रही हैं. एक अखबार ने उन्हें रिटायर्ड छाया चांसलर कहा है.

चांसलर की दिक्कत

मैर्केल के अंतिम सिपहसालार का पतन चांसलर के उनकी सत्ताधारी सीडीयू पार्टी के लिए बड़ी समस्या बन सकती है. संसदीय चुनावों से कुछ ही महीने पहले सीडीयू ताकतवर पार्टी होने का अहसास नहीं दे रही है. नेतृत्व की कतारें पिछले सालों में लगातार छोटी होती गई हैं.

पर्यावरण मंत्री नॉर्बर्ट रोएटगन और शिक्षा मंत्री अनेटे शावान को इस्तीफा देना पड़ा, जबकि मैर्केल के साथ दूरी दिखाने वाले रोलांड कॉख, युर्गेन रुइटगर्स, क्रिस्टियान वुल्फ, ओले फॉन बॉएस्ट जैसे सीडीयू के प्रांतीय कद्दावर नेता इस बीच राजनीतिक मंच से गायब हो चुके हैं. ऐसा लगता है कि पुरुष राजनीतिज्ञों को अत्यंत शक्तिशाली चांसलर के साथ निभाने में कठिनाई होती है.

Merkel in Afghanistan
चांसलर के लिए मुश्किलतस्वीर: picture-alliance/dpa

अगर अभी भी सीडीयू के अंदर चांसलर को टक्कर देने का किसी में माद्दा है तो वह ताकतवर महिला नेताओं में है, श्रम मंत्री ऊर्सुला फॉन डेअ लाएन या थ्युरिंजिया की मुख्यमंत्री क्रिस्टीने लीबरक्नेष्ट और जारलैंड की मुख्यमंत्री अन्नेग्रेट क्राम्प-कारेनबावर में. राइनलैंड की प्रादेशिक पार्टी प्रमुख यूलिया क्लॉयक्नर को भी उभरता हुआ नेता माना जाता है, जो ऊंचे पदों की महात्वाकांक्षा रखती हैं.

आलोचना के बावजूद चोटी पर

लेकिन अभी उत्तराधिकारी के बारे में सोचने का सवाल ही नहीं उठता. मैर्केल बिना किसी चुनौती के सीडीयू और जर्मनी की चोटी पर हैं. जरमन सर्वेक्षणों में नागरिक नियमित रूप से उनमें विश्वास व्यक्त करते हैं. मीडिया में भी मैर्केल की नीतियों को सकारात्मक मूल्यांकन किया जा रहा है. लेकिन फिर भी पिछले कुछ समय से आलोचना की आवाजें तेज हो रही हैं. कोई उनपर अपनी नवउदारवादी नीतियों के चलते सामाजिक कल्याण वाले राज्य को कमजोर करने और उद्योग के हित साधने का आरोप लगा रहा है तो कोई साम्यवादी जीडीआर में उनके अतीत के पन्ने कुरेद रहा है. उन पर जर्मनी की निर्यात नीति और बचत पर जोर के जरिए दक्षिण यूरोप के देशों को कमजोर करने के आरोप भी लग रहे हैं.

इसके विपरीत आर्थिक पत्रिका फोर्ब्स ने चांसलर अंगेला मैर्केल को लगातार तीसरी बार दुनिया की सबसे ताकतवर महिला चुना है. जिस उलझन में रक्षा मंत्री डे मेजियर फंसे हैं, उसने अभी तक चांसलर को नुकसान नहीं पहुंचाया है. लेकिन यदि डेस मेजियर को इस्तीफा देने को बाध्य होना पड़ता है, तो हालत बदल सकती है. क्योंकि सीडीयू के नेतृत्व में कोई इजेक्शन सीट कहे जाने वाले इस मुश्किल पद को लेने के लिए तैयार नहीं दिखता.

रिपोर्टः बेटिना मार्क्स/एमजे

संपादनः निखिल रंजन

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