जीत का आदी बायर्न म्युंचेन
२१ अगस्त २००९साथ ही इसे दुनिया के सबसे अमीर क्लबों में से एक माना जाता है. वह 21 बार बुंडेसलीगा चैंपियन रह चुका है, 12 बार उसे डीएफ़बी कप में जीत मिली है. इसके अलावा उसे यूरोप में चैंपियंस लीग, कप विनर्स कप और उएफ़ा कप में एक-एक बार और इंटर कंटिनेंटल कप में दो बार जीत मिल चुकी है. क्लब का स्टेडियम है आलियांत्ज़ आरेना, जहां 69 हज़ार दर्शकों के बैठने की जगह है.
बायर्न म्युंचेन के साथ जर्मनी के मशहूर खिलाड़ी जुड़े रहे हैं. इस सिलसिले में सबसे पहले फ़्रांत्ज़ बेकेनबाउअर का नाम लेना पड़ता है, जो इस समय क्लब के अध्यक्ष हैं. इसके अलावा अन्य खिलाड़ी रहे हैं गैर्ड म्युलर, सेप मायर, कार्ल हाइन्त्ज़ रुमेनिगे, लोथार माथेयोस, पाउल ब्राइटनर, युर्गेन क्लिंसमान या ओलिवर कान. ज्ञातव्य है कि बायर्न की ओर से कान ने अपने जीवन का आखिरी मैच कोलकाता में खेला था.
भारत के साथ बायर्न म्युंचेन के गहरे संबंध हैं. क्लब के पेशेवर कोचों के साथ पश्चिम बंगाल में बच्चों और किशोरों के लिए प्रशिक्षण की योजना बनाई जा रही है. इसके अलावा प्रतिभावान खिलाड़ियों को क्लब के प्रशिक्षण केंद्र में लाने के बारे में भी सोचा जा रहा है.
बायर्न म्युंचेन कम से कम बुंडेसलीगा में इस कदर कामयाबी का आदी हो चुका है कि उम्मीदें पूरी न होने पर मशहूर कोचों को अक्सर विदा लेना पड़ा है. इनमें शामिल हैं हेंकेस, रिबेक, रेहागेल, मागाथ या क्लिंसमान्न. पिछले सत्र में पहली पांत से पीछे रहने पर राष्ट्रीय कोच रह चुके युर्गेन क्लिंसमान्न को जाना पड़ा, उनकी जगह पर आए फिर एकबार युप हेंकेस. टीम को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा.
इस बार भी टीम के गठन से फ़ैन्स पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. वैसे श्टुटगार्ट से गोमेज़ के आने पर टीम बेशक मज़बूत हुई है. इस बार कोच हैं हालैंड के लुइस फ़ान गाल. दो मैचों में दो ड्रॉ के बाद बायर्न अभी 11वें स्थान पर है.
लेखक: उज्ज्वल भट्टाचार्य
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