चुपचाप आगे बढ़ता हुआ माईन्ज
१७ अगस्त २०१०एफ़एसवी माईन्ज क्लब की स्थापना तो 1905 में ही हो चुकी थी, लेकिन जर्मनी के फ़ुटबॉल जगत में यह क्लब कभी कोई हलचल पैदा नहीं कर पाया. पासा पलट गया पिछले साल. बुंडेसलीगा में आने के बाद तीसरे ही दिन बायर्न म्यूनिख को 2-1 से हराकर उसने सबको सन्न कर दिया. सीज़न जब ख़त्म हुआ, तो तालिका में वह नौवें स्थान पर था. आम तौर पर दूसरी लीग या उससे नीचे खेलने वाले एक क्लब के लिए यह काफ़ी बड़ी बात थी.
वैसे इससे पहले भी एफ़एसवी माईन्ज 2004-05 से 2006-07 तक तीन साल लगातार बुंडेसलीगा में रह चुका है. तालिका में दो बार 11वें और एक बार 16वें स्थान पर. इसके अलावा वह सन 2005 में यूएफा कप में भाग ले चुका है, साथ ही वह 2008-09 में जर्मन फ़ुटबॉल संघ की कप प्रतियोगिता में सेमीफाइनल तक पहुंचा. पिछले सीजन में बाहर के खेलों में लगातार हार के बावजूद अपने स्टेडियम में जीत के बल पर उसे तालिका के पहले आधे में रहने का मौक़ा मिला.
क्लब के कोच हैं थोमास टुखेल. कोफ़ास आरेना नाम से क्लब का नया स्टेडियम बन रहा है. कुछ महीनों में तैयार हो जाने वाले इस स्टेडियम में 33,500 दर्शकों के बैठने की जगह होगी. क्लब के लगभग 10,000 सदस्य हैं.
कोलोन और ड्युसेलडोर्फ़ की तरह माईन्ज भी कार्निवल का गढ़ है. फ़ुटबॉल भी कार्निवल की मस्ती से अलग नहीं है. जब भी एफ़एसवी माईन्ज की ओर से अपने स्टेडियम में कोई गोल दागा जाता है, कार्निवल की मशहूर धुन नारहल्लामार्ष बजाई जाती है. और पिछले साल के घरेलू और बाहरी मैचों की अगर तुलना की जाए, तो कहना पड़ेगा कि टीम को इससे फ़ायदा तो होता ही है.
लेखः उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादनः ए जमाल