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क्रिकेट और पैसे पर भारी आतंकवाद

२४ जनवरी २०१३

'पाकिस्तान में टी20 सुपर लीग टूर्नामेंट मत खेलो,' यह अपील फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल क्रिकेटर्स एसोसिएशन ने सदस्य देशों और क्रिकटरों से की है. अधिकारियों को लग रहा है कि पाकिस्तान में क्रिकेट खेलना अब भी खतरे से खाली नहीं हैं.

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तस्वीर: DW/Tariq Saeed

पाकिस्तान में मार्च में टी20 सुपर लीग टूर्नामेंट खेला जाना है. यह आईपीएल जैसा टूर्नामेंट है. खिलाड़ियों को पैसा देने के मामले में यह आईपीएल से भी आगे होने का दावा कर रहा है. लेकिन इसके बावजूद बड़े क्रिकेट स्टार वहां जाएंगे, यह तय नहीं है. मंगलवार को फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल क्रिकेटर्स एसोसिएशन (एफआईसीए) के प्रमुख टिम मे ने सदस्य देशों को आगाह करते हुए कहा कि वे पाकिस्तान में न खेलें तो बेहतर होगा. सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मे ने कहा, "सुरक्षा सलाहकार वापस लौटे हैं और उन्होंने कहा है कि क्रिकेट के लिहाज से पाकिस्तान का दौरा करने में इतना जोखिम है कि उसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता. मुझे लगता है कि आप देखेंगे कि ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हमारी सलाह को मानेंगे."

बीते छह सात साल से लोकप्रियता के लिहाज से टी20 चरम पर है. भारत में होने वाले आईपीएल की वजह से टी20 में खूब पैसा भी बरस रहा है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में टी20 लीग हो रही हैं. पाकिस्तान के अलावा दक्षिण एशिया के बाकी तीन देश इससे खासा पैसा भी बना रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान में मार्च 2009 के बाद से कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं हुआ है. लाहौर में श्रीलंकाई टीम पर हुए आतंकवादी हमले के बाद से पाकिस्तान को एक भी मैच की मेजबानी नहीं मिली है.

Cricket Twenty20 World Cup 2012 Pakistan Neuseeland
खिलाड़ियों का जोशतस्वीर: Reuters

घर में मैच न होने से पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड की हालत भी नाजुक हो गई है. बोर्ड आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहा है. टीम दूसरे देशों और तटस्थ देशों में मैच खेल रही है. पाकिस्तानी टीम श्रीलंका, भारत और बांग्लादेश का दौरा कर चुकी है, लेकिन ये देश अपनी टीम पाकिस्तान भेजने को तैयार नहीं हो रहे हैं. बीते महीने ही बांग्लादेश ने आखिर लम्हे में अपनी टीम को पाकिस्तान भेजने से इनकार कर दिया. बांग्लादेश के अधिकारियों ने सुरक्षा कारणों का हवाला दिया.

सुरक्षा की चिंता

क्या पाकिस्तान में सुरक्षा वाकई इतनी खराब है? पाकिस्तानी क्रिकेटर ऐसा नहीं मानते. उनके मुताबिक 'सोच और सच्चाई' में फर्क है. पाकिस्तानी टीम के मैनेजर नवीन अकरम चीमा कहते हैं, "बाकी टीमें सुरक्षा कारणों का हवाला देकर पाकिस्तान नहीं आतीं, लेकिन यह दुनिया के अन्य देशों की तरह ही सुरक्षित है."

पीसीबी भले ही बाकी देशों के क्रिकेट बोर्ड से कितनी ही गुजारिश क्यों न करे, सच यह भी है कि पाकिस्तान में तालिबान का प्रभाव बढ़ रहा है. 2012 में ही देश में हजारों लोग तालिबान के हमलों में मारे गए. पाकिस्तानी टीम के पूर्व कप्तान और कोच रह चुके मोहसिन हसन भी इससे सहमत हैं, "यह सच है कि पाकिस्तान में हालत अच्छे नहीं हैं. लेकिन एक वक्त श्रीलंका भी इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहा था और पाकिस्तान ही उन देशों में से एक था जिसने श्रीलंका जाकर क्रिकेट खेला."

Pakistan Lahore Cricket T20 Cup
दर्शकों का उत्साहतस्वीर: DW/T. Saeed

खान चाहते हैं कि पाकिस्तान को क्रिकेट कैलेंडर से अलग करने के बजाए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को उनके देश की मदद के लिए आगे आना चाहिए. उनके मुताबिक पाकिस्तान की जनता में क्रिकेट के प्रति अथाह दीवानगी है. खेल के जरिए देश में स्वस्थ ऊर्जा का संचार किया जा सकता है.

वैसे आईसीसी ने टी20 प्रतियोगिता कराने के पाकिस्तान के फैसले का स्वागत किया है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट समिति यह भी मान रही है कि फिलहाल पाकिस्तान को विश्वास बहाली में वक्त लगेगा. आईसीसी प्रमुख डेविड रिचर्डसन कहते हैं, "अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी के पाकिस्तान के प्रयासों में हम मदद करेंगे. लेकिन जब आईसीसी खुद ही इस स्थिति (सुरक्षा की समीक्षा) में नहीं है तो यह कहना वाकई कठिन है कि कब टीमें और देश वहां का दौरा करने का फैसला करेंगे."

तनातनी में पिसता खेल

लाहौर में पत्रकार तारिक सईद कहते हैं कि पाकिस्तान और एफआईसीए के तल्ख रिश्ते भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं. कई सालों से दोनों के बीच तकरार होती आ रही है. यह भी एक कारण है कि एफआईसीए दूसरे देशों के क्रिकेटरों से पाकिस्तानी लीग से दूर रहने को कह रहा है. तारिक के मुताबिक पीसीबी को एफआईसीए से भिड़ने के बजाए संबंध मीठे करने पर जोर देना चाहिए.

Cricket Spieler aus Sri Lanka werden nach Anschlag in Lahore Pakistan mit Helicopter evakuiert
श्रीलंकाई खिलाड़ियों पर हमलातस्वीर: AP

कुछ दूसरे मुद्दे भी है. तारिक सईद कहते हैं, "पाकिस्तानी बोर्ड आईपीएल से मुकाबला नहीं कर रहा है. वह अपनी सीमाएं जानता है, लेकिन यह खिलाड़ियों को आईपीएल से ज्यादा पैसा देने की पेशकश भी कर रहा है. क्रिस गेल और केविन पीटरसन जैसे कद्दावर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अगर पाकिस्तानी लीग के 12 दिन के टूर्नामेंट में खेलेंगे तो यह बहुत अच्छा होगा."

इस्लामाबाद में रहने वाले जकारिया जुबैद क्रिकेट के दीवाने हैं. वह मानते हैं कि देश में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट लौट सकता है लेकिन इसके लिए सरकार को कमर कसनी होगी, सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करनी होगी. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों के लिए ऐसा माहौल बनाना होगा कि खिलाड़ी वहां भी खेल सकें और खाली वक्त में आस पास घूम फिर भी सकें. जुबैद मानते हैं कि ऐसे दिन आने तक पाकिस्तान को इतंजार करना होगा.

रिपोर्ट: शामिल शम्स/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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