किन किन से था सचिन का मुकाबला?
बीते 20 साल में वह कौन सा खिलाड़ी है, जिनसे अपनी काबिलियत से खेल और समाज को अद्भुत लम्हा दिया. 17 फरवरी 2020 को बर्लिन में सचिन को मिला लॉरेयस बेस्ट स्पोर्टिंग मोमेंट पुरस्कार.
महानतम बल्लेबाजों में शुमार
24 साल तक एक अरब लोगों की उम्मीदों को अपने बल्ले से मुकाम तक पहुंचाने की कोशिश करने वाले सचिन तेंदुलकर ऐसे पहले क्रिकेटर हैं, जिन्हें इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है. खेल के महानतम बल्लेबाजों में शुमार सचिन तेंदुलकर ने अपने ढाई दशक लंबे करियर में तमाम उतार चढ़ाव देखे.
चार खिलाड़ियों से मुकाबला
करीब एक दशक तक वह अकेले ऐसे बल्लेबाज थे, जिनके जल्दी आउट होते ही एक पूरा देश निराश हो जाता था. यही वजह है कि सचिन का नाम लॉरेयस टॉप स्पोर्टिंग मोमेंट ऑफ लास्ट 20 ईयर्स में शामिल है. लेकिन यहां उनका मुकाबला चार अन्य खिलाड़ियों से है. महीने भर से ज्यादा लंबी ऑनलाइन वोटिंग के आधार पर ही विजेता का चुनाव होगा.
टीम शापेकोएंसे
दक्षिण अमेरिकी फुटबॉल लीग की टीम शापेकोएंसे. ब्राजील की यह फुटबॉल टीम 2016 में कोपा अमेरिका का फाइनल खेलने निकली और विमान हादसे का शिकार हुई. क्रैश में टीम के ज्यादातर सदस्य मारे गए. विमान में सवार 77 लोगों में से सिर्फ छह जिंदा बचे. इन्हीं में टीम के गोलकीपर भी थे. कई महीनों तक अस्पताल में रहने के बाद गोलकीपर ने फिर पिच पर वापसी की. टीम हादसे के 54 दिन बाद फ्रेंडली मैच खेलने मैदान पर उतरी.
नाताली डु ट्वा
आखिरी पांच नामांकित खिलाड़ियों में दक्षिण अफ्रीका की तैराक नाताली डु ट्वा भी शामिल हैं. स्कूटर एक्सीडेंट में अपना बायां पैर गवाने के बावजूद नाताली ने तैराकी नहीं छोड़ी. 2004 के पैरा ओलंपिक खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता. कॉमनवेल्थ खेलों में भी गोल्ड मेडल उन्हें मिला.
शीआ बोयू
चीन के शीआ बोयू अपने दोनों पैर खोने के बावजूद 69 साल की उम्र में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने में सफल रहे. कैंसर के चलते दोनों पैर गंवाने वाले शीआ ने कृत्रिम पैरों का सहारा लिया और 2018 में माउंट एवरेस्ट की चोटी छू ली. कृत्रिम पैरों की मदद से यह कारनामा करने वाले वह दुनिया के दूसरे पर्वतारोही बने.
मिक शूमाखर
फॉर्मूला वन के सबसे सफल ड्राइवरों में शुमार मिषाएल शूमाखर के बेटे मिक शूमाखर का इस खेल में आना आसान नहीं रहा. मिक के पिता दिसंबर 2013 से कोमा में हैं. एक स्की हादसे के दौरान दिमागी चोट का शिकार हुए मिषाएल सात साल से जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. मिक कई बार उन्हीं कारों के सहारे मुकाबले में उतरते हैं, जिन्हें कभी उनके पिता दौड़ाया करते थे. मिक एक फॉर्मूला टू चैंपियनशिप जीत चुके हैं.