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कितना गंभीर है तुर्की यूरोपीय संघ से रिश्ते सुधारने के लिए

६ अप्रैल २०२१

यूरोपीय संघ के दो प्रमुख नेताओं की तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोवान से मुलाकात का मकसद ये देखना है कि तुर्की के राष्ट्रपति यूरोपीय संघ के साथ रिश्तों को सुधारने पर कितना गंभीर हैं.

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Türkei | EU Delegation in Ankara
तस्वीर: EU Delegation Turkey

पिछले सालों में जैसे जैसे तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान ताकतवर होते गए हैं और सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करते गए हैं, यूरोपीय संघ के साथ तुर्की के रिश्ते भी तल्ख होते गए हैं. दोनों के बीच असहमतियों की लगातार लंबी होती सूची में पिछले साल गर्मियों में एक और मामला शामिल हो गया, जब तुर्की ने उस इलाके में अपने तेल की खोज करने वाले जहाज भेज दिए जिस पर ग्रीस और साइप्रस भी दावा करते हैं. तुर्की ने जब अपने जहाजों को वापस किया तो तनाव कुछ कम हुआ और यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगाने की अपनी धमकी वापस ले ली.

अब यूरोपीय संघ के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और आयोग प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन तुर्की के राष्ट्रपति के साथ बातचीत में यह समझने की कोशिश करेंगे कि वे आपसी संबंधों का 'नया पन्ना खोलने' के अपने इरादे पर किस तरह अमल करना चाहते हैं. यूरोपीय संघ के दोनों प्रतिनिधियों का संदेश एक ही है कि यह बात तुर्की पर निर्भर करती है कि वह यूरोपीय संघ के साथ रिश्ते सुधारना चाहता है या नहीं. मार्च के अंत में हुए शिखर सम्मेलन में ईयू के राज्य व सरकार प्रमुखों ने तुर्की को निकट आर्थिक संबंधों और कस्टम यूनियन में संशोधन की पेशकश की थी.

चूंकि यूरोपीय नेताओं के समापन बयान में तुर्की के साथ उच्च स्तर पर संवाद की बात की गई थी, इसलिए आश्चर्य नहीं कि यूरोपीय संघ के अध्यक्ष और यूरोपीय मंत्रिमंडल की प्रमुख राष्ट्रपति एर्दोवान से मिल रहे हैं. एर्दोवान पिछले सालों में सहयोग के बदले ईयू पर दबाव डालने की राजनीति अपनाते आए हैं. देश के अंदर विरोधियों को दबाने का निरंकुश रवैया भी यूरोपीय संघ के देशों में उनकी आलोचना को बढ़ाता रहा है. तुर्की के प्रति यूरोपीय संघ का रवैया खुश रखने के साथ धमकाने का रहा है और यही नीति जारी रहेगी. तुर्की को अच्छे व्यवहार के लिए इनाम देने की पेशकश है लेकिन गलत करने पर प्रतिबंधों की धमकी बनाए रखी गई है.

Symbolbild: Handel USA Türkei Indien
तुर्की पर आर्थिक दबावतस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Wüstneck

तुर्की पर दबाव

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप की हार के बाद तुर्की के राष्ट्रपति पर यूरोपीय संघ के साथ संबंधों को सुधारने का दबाव बढ़ गया है. देश के आर्थिक संकट ने भी इसमें योगदान दिया है. मार्च में तुर्की में मुद्रास्फीति की दर 16 प्रतिशत थी. यूरोपीय संघ के साथ आर्थिक सहयोग राष्ट्रपति को आर्थिक मोर्चे पर राहत दिलवाने में मदद कर सकता है. दूसरी ओर मध्य एशिया में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की बदली प्राथमिकताओं ने यूरोपीय संघ के लिए भी नई स्थिति पैदा की है. यूरोपीय संघ के अनुसार तुर्की के साथ मतभेद के चार मुख्य मुद्दों में लीबिया और सीरिया के क्षेत्रीय विवाद में हितों का टकराव, साइप्रस का अनसुलझा सवाल, भूमध्यसागर में संप्रभुता को लेकर विवाद और तुर्की में लोकतंत्र की स्थिति है.

तुर्की नाटो का सदस्य है लेकिन अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए वह रूस के साथ सहयोग करने में पीछे नहीं रहा है. अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए यह मुद्दा इतना गंभीर है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ हफ्तों से इस पर चर्चा कर रहे हैं कि तुर्की को रूस और चीन की बाहों में जाने से कैसे रोका जाए. तुर्की जाने से पहले चार्ल्स मिशेल ट्यूनीशिया और लीबिया गए हैं जहां उन्होंने विदेशी लड़ाकों की वापसी को स्थिर, एकीकृत और खुशहाल लीबिया की शर्त कहा है. ये आलोचना तुर्की की भी है जिसने 2019 में लीबिया में हस्तक्षेप किया था और इस बीच वहीं अपना प्रभाव बढ़ा लिया है.

Türkei | Frauenrechte | Proteste in Istanbul
तुर्की में महिला अधिकारों के लिए प्रदर्शनतस्वीर: Emrah Gurel/AP Photo/picture alliance

तुर्की में लोकतंत्र

यूरोपीय संघ की एक परेशानी तुर्की में लोकतांत्रिक स्तर का लगातार गिरना है. यूरोपीय नेताओं के दौरे से ठीक पहले तुर्की में एक खुली चिट्ठी लिखने वाले 10 भूतपूर्व एडमिरलों को गिरफ्तार कर लिया गया है. उन्होंने इस्तांबुल नहर बनाने की राष्ट्रपति एर्दोवान की योजना की आलोचना की थी. राष्ट्रपति ने उन पर काला सागर और भूमध्य सागर को जोड़ने वाली प्रस्तावित नहर की आलोचना करने के लिए राजनीतिक तख्तापलट की साजिश का आरोप लगाया है. देश के 104 पूर्व एडमिरलों ने राष्ट्रपति से 1936 की मॉन्त्रो संधि का पालन करने की अपील की थी. उनका कहना है कि ये संधि तुर्की के हित में है.

ऊंचाइयों पर आजादी का अहसास

अंकारा के सरकारी वकील ने पूर्व एडमिरलों पर संवैधानिक सत्ता को खत्म करने के लिए ताकत और हिंसा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. आरोप के शब्द वहीं हैं जो 2016 के विफल तख्तापलट के बाद कैद एर्दोवान विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल किए गए थे. एर्दोवान ने पिछले सालों में लगातार अपने विरोधियों को गिरफ्तार किया है और उन पर मुकदमा चलाया है. रिपोर्टर विदाउट बोर्डर्स के अनुसार तुर्की में इस समय करीब 165 पत्रकार जेल में बंद हैं. वहां देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी एचडीपी पर प्रतिबंध लगाने का मुकदमा भी चल रहा है.

Bruch des Flüchtlingsdeals 2020 | Eskalation an der türkisch-griechischen Grenze
यूरोप आने को तैयार शरणार्थीतस्वीर: Sakis Mitrolidis/AFP/Getty Images

शरणार्थियों का मुद्दा

यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी चिंता तुर्की से होकर आने वाले शरणार्थी हैं. वह हर हाल में तुर्की के साथ विवाद को टालना चाहता है. उसे डर है कि ऐसा नहीं होने पर कहीं तुर्की उसके साथ शरणार्थी समझौते से बाहर न हो जाए. 2015 में लाखों की तादाद में शरणार्थी तुर्की से होकर यूरोपीय संघ में आए थे. इसे तुर्की के साथ हुए समझौते से रोका जा सका था. तुर्की में सीरिया के करीब 40 लाख शरणार्थी हैं. यूरोपीय संघ हर हाल में 2015 की स्थिति को दोहराए जाने से रोकना चाहता है. जिस तरह से एर्दोवान यूरोपीय संघ के देशों पर दबाव बनाते रहे हैं उससे ये डर भी है कि वे फिर से सीरिया के लाखों शरणार्थियों को ईयू में जाने को प्रेरित कर सकते हैं.

लेकिन तुर्की के साथ रिश्ते फिर से बढ़ाने की पहल की आलोचना भी हो रही है. मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि एर्दोवान जितने ढीठ होते जा रहे हैं यूरोपीय संघ उतना ही खामोश होता जा रहा है. तुर्की की दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी एचडीपी के सह अध्यक्ष मिथट संचार ने भी यूरोपीय संघ से एर्दोवान के साथ सख्ती से पेश आने की अपील की है.

रिपोर्ट: महेश झा (एएफपी, एपी)